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देश के ईमानदार अफसर, जो एक हाथ में खाट तो दूसरे में लेकर चलते हैं फाइलें

Published: Jul 17, 2017 05:16:00 pm

Submitted by:

ashutosh tiwari

डीआईजी डी रूपा के तबादले के साथ ही देश में एकबार फिर उन इमानदार अधिकारियों की चर्चा शुरु हो गई, जिनके काम से परेशान सरकारें या तो उनका तबादला करती या फिर निलंबन

D Rupa

D Rupa

नई दिल्ली। सरकारें आती हैं और चली जाती हैं। नेता आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन सत्ता में जितने वक्त भी होते हैं देश के ईमानदार नौशकरशाहों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। आज बात करते हैं कुछ ऐसे सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की जो अक्सर अपने काम और सरकारों के रवैये की वजह से चर्चा में रहते हैं।
डी रूपा, डीआईजी: शशिकला को जेल में मिल रहे वीआईपी ट्रीटमेंट का खुलासा करने वाली डीआईजी डी रूपा का ट्रांसफर कर दिया गया है। डीआईजी डी.रूपा बेंगलुरु जेल में कार्यरत थी। कनार्टक सरकार ने बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस को संभालने को कहा है। कनार्टक सरकार ने एक सकुर्लर जारी तत्काल रूप से उनका ट्रांसफर कर दिया। डीआईजी डी रूपा ने शनिवार को ही एआईएडीएमके शशिकला मामले में अपनी दूसरी रिपोर्ट दी थी। डीआईजी रूपा ने कहा था कि जेल में भ्रष्टाचार हो रहा है। डीआईजी रूपा ने जेल प्रशासन पर स्पेशल ट्रीटमेंट देने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में डी रूपा ने केंद्रीय जेल शशिकला के रख-रखाव के मामले पर सवाल उठाए थे। इसके साथ ही उन्होंने एआईएडीएमके अध्यक्ष वीके शशिकला को वीआईपी ट्रीटमेंट देने संबंधित कई महत्वपूर्ण सीसीटीवी फुटेज डिलीट किए जाने का आरोप लगाया था। 


चारू निगम,आईपीएस : गोरखपुर यानि सीएम योगी के गृह जनपद में गोरखपुर से बीजेपी विधायक डॉक्टर राधा मोहन अग्रवाल और नई आईपीएस अधिकारी चारू निगम की सरेआम बहस हुई थी। इस दौरान विधायक ने चारु निगम को फटकार लगाई तो चारु के आंसू निकल आए थे। राधा मोहन दास अग्रवाल के मुताबिक आईपीएस ने कच्ची शराब के विरोध में प्रदर्शन करने वाली महिलाओं पर लाठीचार्ज कराया। इस घटना के बाद विधायक की जमकर फजीहत हुई थी।


श्रेष्ठा सिंह, सीओ: बुलंदशहर में वाहन चेकिंग के दौरान जिला पंचायत सदस्य के पति प्रमोद लोधी की गाड़ी का महिला सीओ श्रेष्ठा सिंह ने चलान काटा था, क्योंकि उनके पास गाड़ी के कागज नहीं थे। चलान काटने के विरोध में बीजेपी नेता प्रमोद, सीओ श्रेष्ठा से भिड़ गए। इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था। इसके बाद बीजेपी नेता को गिरफ्तार कर लिया गया था। फिर सीओ श्रेष्ठा सिंह का शासन ने बहराइच तबादला कर दिया
लव कुमार, एसएसपी: सहारनपुर में दंगा भड़काने के आरोपी बीजेपी सांसद राघव लखनपाल पर लव कुमार ने कार्रवाई की थी। जिसके बाद सहारनपुर जिले के सांसद राघव लखनपाल ने एसएसपी आवास पर समर्थकों के साथ हमला हमला कर दिया था। जिसके बाद सांसद पर कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिनएसएसपी लव कुमार का तबादला कर दिया। सवाल पूछे जाने पर सरकार ने इसे रुटीन ट्रांसफर बताया था।
अमिताभ ठाकुर, आईपीएस: यूपी कैडर के आईपीएस अमिताभ ठाकुर और पिछली अखिलेश सरकार के बीच पूरे पांच सल तक छत्तीस का आंकड़ा देखने को मिला। जिसकी वजह से अमिताभ ठाकुर का न सिर्फ तबादला हुआ बल्कि 10 महीने तक निलंबन भी हुआ। सरकार और नौकरशाह की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। विवाद उस वक्त शुरु हुआ जब आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर मोबाइल फोन पर धमकी देने का आरोप लगाया। इसके बाद तात्कालिन प्रदेश सरकार द्वारा आईपीएस अफसर को निलंबित किए जाने तथा उनके खिलाफ तरह-तरह के मुकदमे दर्ज कराकर ताबड़तोड़ जांच हुए, लेकिन हर बार अमितभ ठाकुर की छवि साफ ही दिखी।


अशोक खेमका, आईएएस: 1991 बैच के आईएएस अशोक खेमका के 21 साल के कार्यकाल में 40 बार ट्रांसफर हुआ। हरियाणा सरकार के विभागों में भ्रष्टाचार उजागर करने के एवज में उनको ये सजा दी जा रही थी। ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली सरकार के दौरानखेमका का पांच साल में नौ बार तबादला हुआ और निदेशक के रूप में श्रम एवं रोजगार रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग में 15 महीनों का कार्यकाल पूरा किया जो कि सेवा के 21 वर्षों के दौरान अपने सबसे लंबा समय है।
दुर्गा शक्ति नागपाल,आईएएस: पंजाब कैडर की आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल उस वक्त चर्चा में आई थीं, जब नोएडा में मस्जिद में बिना अनुमति के बनायी जा रही दीवार को गिरवा दिया था। तब यूपी की अखिलेश सरकार ने उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया। जिसकी देशभर में कड़ी निंदा हुई। उस वक्त के पीएम मनमोहन सिंह ने मालले पर संज्ञान लिया और आइएएस अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात किया। इसके बाद सीएम अखिलेश यादव ने दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन वापस ले लिया।

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