आतंकवाद के मसले पर किसी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “याकूब की फांसी से संबंधित मामले और दया याचिका के साथ जिस तरह से
उच्चतम न्यायाालय पेश आया वह काबिले तारिफ है लेकिन यह बात ध्यान देने वाली है कि
संघ से जुडे मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस एवं अजमेर दरगाह शरीफ बम विस्फोट मामले की
जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने मुंबई के विशेष सरकारी वकील से
जांच की गति धीमी रखने की बात की थी।”
सिंंह ने दावा किया कि भाजपा के दो वरिष्ठ
नेताओं ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर संघ से जुड़े मामले की जांंच धीमी
रखने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, “जो तत्परता याकूब को फांसी देने में दिखाई
गई थी वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे और सिख आतंकवादी भुल्लर को
लेकर नहीं दिखाई गई।
भुल्लर की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
आतंकवाद को धर्म ,जाति एवं नस्स से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। और न ही इसे कोई रंग
देना चाहिए।” उन्होंने कहा कि धार्मिक कट्टरता से आतंकवाद का रास्ता प्रशस्त होता
है और कांग्रेस ने धार्मिक कट्टरता को स्थान देने वाली राजनीतिक पार्टियों का हमेशा
विरोध किया है।