कावेरी जल बंटवारे का विवाद सुलझा सकता है ‘ज्वार’, जानिए कैसे
Published: Sep 26, 2016 12:33:00 pm
कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कई सालों से चल रहे कावेरी जल बंटवारे का
विवाद ज्वार सुलझा सकता है। जी हां, ये सुझाव आया है इजराइल से।
नई दिल्ली। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कई सालों से चल रहे कावेरी जल बंटवारे का विवाद ज्वार सुलझा सकता है। जी हां, ये सुझाव आया है इजराइल से। इजरायली विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर दोनों राज्य ज्वार की खेती पर राजी हो जाएं तो वर्षों पुरानी तकरार दोस्ती में बदल सकती है।
इजरायली विशेषज्ञों का कहना है कि कावेरी जल का विवाद सुलझ सकता है, अगर दोनों राज्यों को अपने यहां पारंपरिक खेती की जगह कम पानी की खपत वाली खेती पर ध्यान देना चाहिए। दरअसल कर्नाटक के किसानों द्वारा अपने इलाके में गन्ने की खेती की जाती है। वहीं तमिलनाडु के किसान धान की खेती करते हैं। इन दोनों फसलों में पानी की खपत ज्यादा होती है। इजरायली विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों राज्यों के किसानों को ज्वार की खेती पर बल देना चाहिए क्योंकि इसमें पानी की खपत कम होती है।
गौरतलब है कि कर्नाटक में गन्ना उगाया जाता है, वहीं तमिलनाडु में धान के खेत हैं। दोनों में ही पानी जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल होता है। पिछले चालीस सालों में जौ उगाना किसानों ने लगभग बंद कर दिया है। राज्य सरकार ने अपनी ओर से किसानों को नकदी फसल उगाने के प्रति जागरुक करने की कोई कोशिश नहीं की है।
हालांकि हाल ही में बेंगलुरू में हुए एक कार्यक्रम में इस्राइल ने इस संकट से निपटने का एक तरीका सुझाया है. “Open a door to Israel” नाम के इस सम्मेलन में इस्राइल के वाणिज्य दूतावास ने दिखाया कि किस तरह ‘माइक्रो ड्रिप इरिगेशन’ के माध्यम से इस देश ने सिंचाई में पानी की खपत को 50 प्रतिशत तक कम किया ह। इज़राइलियों का दावा है कि इस तकनीक को उपजाऊ बनाने के तरीके से जोड़कर गन्ने की उपज 133 प्रतिशत बढ़ सकती है।