scriptपिछले 12 सालों से जंजीरों में बंधा है ये लड़का, इस लड़के की कहानी आपको भावुक कर देगी! | This Mother Giving Punishment To 16 Year-Old Child | Patrika News

पिछले 12 सालों से जंजीरों में बंधा है ये लड़का, इस लड़के की कहानी आपको भावुक कर देगी!

Published: Jul 18, 2017 02:26:00 pm

Submitted by:

राहुल

यह मामला राजस्थान के मंडावा क्षेत्र के सीगड़ा गांव के ढाणी का है। गांव में रहने वाले भंवरलाल मेघवाल और उनके परिवार ने खुद अपने बेटे पंकज कुमार को जंजीरों से बांध कर रखा हुआ है, वो भी पिछले 12 सालों से, जब वो 4 साल का था…

This Mother Giving Punishment To 16 Year-Old Child

This Mother Giving Punishment To 16 Year-Old Child

यह खबर सिर्फ इस बच्चे से सम्बंधित नहीं है जो इस वक्त इन जंजीरों में बंधा हुआ है, बल्कि ये उस मां की कहानी भी है जिसकी आंखों में आपको आंसू और मजबूरी दोनों दिखाई देंगे। जिसने अपने हाथों से अपने बच्चे को पिछले 12 सालों से जंजीरों से जकड रखा है। इस मजबूर मां का ये 16 साल का बेटा 4 साल की उम्र से ही जंजीरों में जकड़ा हुआ है। इस बेटे की मां जब किसी बच्चे को स्कूल जाते या हंसते-खेलते देखती है तब वो यही सोचती है कि काश उसका बेटा भी स्कूल जाता। ये कहानी इसी लड़के और उसके मजबूर परिवार की है! 

यह मामला राजस्थान के मंडावा क्षेत्र के सीगड़ा गांव के ढाणी का है। गांव में रहने वाले भंवरलाल मेघवाल और उनके परिवार ने खुद अपने बेटे पंकज कुमार को जंजीरों से बांध कर रखा हुआ है, वो भी पिछले 12 सालों से, जब वो 4 साल का था।
12 साल से जंजीरों से बंधा है 16 साल का लड़का, बस इतना है इसका कसूर
पंकज जब 3 साल का था तब तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन एक दिन अचानक सब कुछ बदल गया। एक दिन पंकज को तेज बुखार आया तो परिवार वाले उसे झुंझुनूं में बच्चों के डॉक्टर के पास लेकर गए। डॉक्टर ने पंकज को पांच दिन तक एडमिट रखने के बाद कहा कि वो अब ठीक हो जाएगा, उसे घर ले जाओ। लेकिन घर लाने के बाद भी पंकज का बुखार ठीक नहीं हुआ। इसके बाद परिवार वालों ने पंकज को कई जगह दिखाया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। लेकिन हर जगह से उन्हें यही जबाब मिला कि बच्चे का इलाज संभव नहीं है, पैसा व समय खराब करने कोई फायदा नहीं है, बच्चे को घर ले जाओ।
Image may contain: 1 person, standing, outdoor and nature
मजबूरन थक-हार कर पंकज के परिवार वाले उसे घर ले आये लेकिन कुछ दिन बाद ही उसकी हालत और ज्यादा ख़राब हो गई। जैसे जैसे समय गुजरता गया, पंकज का दिमाग ख़राब होता रहा। वो कभी भी तोड़-फोड़ करने लगता, इधर-उधर भागने लगता। परिवार वालों को यह डर सताने लगा कि कहीं पंकज इधर-उधर भाग न जाए व किसी को नुकसान न पहुंचा दे इसलिए उसे बांधकर रखा जाता है।

पंकज की मां सुशीला देवी भरे हुए गले से कहती हैं कि उनके बेटे को कभी भी दौरे पड़ने लगते है। शरीर अकड़ जाता है और घर जो भी हाथ लगे तोड़ फोड़ करने लगता है। वो बोल भी नहीं सकता है और नहीं किसी की कोई बात समझता है। अब जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती जा रही है तो परिवार वालों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। 
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो