नई दिल्ली. सोशल मीडिया व सड़कों पर चीनी सामान का विरोध करने का बड़ा असर हुआ है। रिटेल कारोबार में बीते साल के मुकाबले इस वर्ष चीनी सामान की मांग में 45 फीसदी की कमी आई है। कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देशभर के 20 शहरों के बाजारों का मूल्यांकन कर ये आंकड़े जारी किए हैं।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं कि जिस तरीके से सोशल मीडिया पर चीनी सामान का बहिष्कार कर देशभक्ति का माहौल बनाया गया उससे चीनी सामान की मांग में तेजी से कमी देखने को मिली। नतीजतन, रिटेल कारोबारियों ने थोक व्यापारियों व चीनी इंपोटर्स से कम माल खरीदा। इसमें 45 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। कैट के अनुसार, रिटेल कारोबार में जितने भी छोटे-बड़े दुकानदार आते हैं वे चीनी सामान के विरोध को देखते हुए कम माल दुकानों में रख रहे हैं ताकि उनका सामान और पैसे ब्लाक न हो पाएं।
देसी सामान की मांग बढ़ी, कुम्हारों की चांदी
लगभग 10 वर्ष के बाद इस बार मिट्टी से बने सामान की मांग में वृद्धि होने का अनुमान है। चीनी सामान के प्रति उपभोक्ता का क्या रुख है, यह बुधवार से पता लगेगा जब दिवाली की खरीद के लिए लोग अब बाजारों में आना शुरू करेंगे। बता दें कि इस बहिष्कार को एक बड़ा अवसर मानते हुए कुम्हारों ने इस दिवाली के लिए मिट्टी के दीये व अन्य सामान पहले के मुकाबले ज्यादा तैयार किए हैं। खास तौर घर सजाने के लिए मिट्टी से बनी कलात्मक वस्तुएं, रोशनी के लिए लटकाने वाली कंदीलें, दीवार पर लटकाने के लिए मिट्टी के बने भगवान आदि बड़ी मात्रा में तैयार किए गए हैं।
जिन्होंने पहले सामान खरीदा, उन्हें ज्यादा घाटा
कैट का मानना है कि जिन थोक व्यापारियों ने काफी पहले चीनी सामान का आयात किया है, उन्हें इस वर्ष अधिक नुकसान होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि उस वक्त थोक व्यापार में इन सामान की कीमत ज्यादा थी। बाद में विरोध होता देख चीनी एक्सपोटर्स ने दाम गिरा दिए थे। बहरहाल, चीनी सामान में पटाखे, बल्ब की लडिय़ा, गिफ्ट का सामान, फर्निशिंग फैब्रिक, इलेक्ट्रिक फिटिंग, इलक्ट्रोनिक सामान, घरेलू सजावट का सामान, खिलौने, भगवान की तस्वीर एवं मूर्तियां आदि शामिल हैं।
कैट बोला, ‘सरकार को विकल्प देना होगा’
कैट का कहना है कि यदि हमें चीनी सामान के उपयोग को बंद करना है तो पहले उनके विकल्प उपलब्ध कराने होंगे। इनसे चीनी सामान पर निर्भरता कम की जा सकती है। दूसरी तरफ सरकार को एक दीर्घकालीन नीति बनाकर घरेलू व्यापार एवं उद्योग को सक्षम बनाने के लिए नीति बनानी होगी ताकि कम दामों पर क्वॉलिटी का उत्पाद देश में बने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुकाबला किया जा सके। अत्याधुनिक तकनीक एवं जानकारी उपलब्ध कराते हुए रिसर्च एवं डेवलपमेंट पर एक बड़ी राशि खर्च करनी होगी। यदि यह सारे कदम एक साथ उठाये जाएं तो उपलब्ध संसाधनों के बल पर भारत का व्यापार एवं उद्योग किसी को भी पीछे छोड़ सकता है।