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कश्मीरी युवाओं के लिए रोशनी बने तीन आईआईटी छात्र

Published: Jun 19, 2016 09:30:00 am

सुपर 30 की तर्ज पर कश्मीर में आईआईटी के तीन पूर्व छात्रों का कोचिंग संस्थान कश्मीरी युवाओं के लिए नई रोशनी लेकर आया है

kashmiri students

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सुपर 30 की तर्ज पर कोचिंग से आईआईटी में प्रवेश पा रहे गरीब छात्र

नई दिल्ली। बिहार के आनंद कुमार और उनके सुपर 30 की तर्ज पर कश्मीर में आईआईटी के तीन पूर्व छात्रों का कोचिंग संस्थान कश्मीरी युवाओं के लिए नई रोशनी लेकर आया है। श्रीनगर में चल रहे इस संस्थान से इस साल चार छात्र आईआईटी में चयनित हुए हैं। कोचिंग संस्थान राइज के संस्थापक मुबीन मसूदी, इम्बेसात अहमद और सलमान शाहिद के लिए यह शुरू करना इतना आसान नही था। कॉरपोरेट जगत की अच्छी नौकरी छोड़कर कश्मीर घाटी में कोचिंग शुरू करने के इनके इरादे को घरवालों में पहले सहमति नहीं दी।

आईआईटी से पासआउट और आईआईएम प्रवेश परीक्षा कैट 2012 में सेकंड रैंक हासिल करने वाले मुबीन ने कोचिंग स्थापित करने के लिए तीन साल पहले नौकरी छोड़ दी और दिल्ली से श्रीनगर लौट आए। मुबीन के अन्य दो सहयोगी इम्मबेसात बिहार के और सलमान शाहिद दिल्ली के हैं, दोनों आईआईटी खुडगपुर के पास आउट हैं।

कोचिंग का पहला बैच चुनने के लिए उन्होंने कश्मीर में टैलेंट सर्च परीक्षा आयोजित की, करीब 15000 छात्र इसमें शामिल हुए। परीक्षा के बाद 50 छात्रों को पहले बैच के लिए चुना गया लेकिन सिर्फ 30 बच्चों ने कोचिंग ज्वाइन की। ऐसे छात्र जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक थी, उनसे 1000-1200 रुपये प्रतिमाह फीस ली गई।

इस साल जो छात्र आईआईटी में चयनित हुए, उनमें से एक दिव्यांग हैं। इन सभी के माता पिता की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लेकिन इन बच्चों के कदम अब रुकने वाले नहीं। चयनित अमीन और आरिफ का कहना है कि आईआईटी पास करने के बाद वे आईआईएम में दाखिला लेंगे। मसूदी कहते हैं कि, कश्मीर के बच्चों में ऐसे ही विश्वास की कमी थी, अब उनका सपना यही है कि देश के सभी प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में कश्मीर के छात्र दाखिल हों। बेहतर शिक्षा से ही कश्मीर समस्या का हल हो सकता है। उन्होंने कहा कि उनका संस्थान गरीब बच्चों को मुप्त कोचिंग की सुविधा लम्बे समय तक देना चाहता है।

वित्तीय संस्थानों का सहयोग नहीं
कोचिंग के तीनों संस्थापकों ने बताया कि वे चाहते थे कि निजी वित्तीय निवेशक और ऐसी फर्म इस प्रोजेक्ट में पूंजी लगाने के लिए आगे आएं लेकिन ऐसा सम्भव नहीं हो सका। कश्मीर में हिंसा आदि वजहों से कोई निवेशक आगे आना नहीं चाहता। अहमद ने कहा कि हड़ताल और बंद के आह्वान भी हमारे इस कार्य में बाधा पहुंचाते हैं। कई बार मोबाइल फोन और इंटरनेट तीन चार दिन के लिए ठप हो जाते हैं। फिर भी इस साल की सफलता से उम्मीद बंधी है, और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हम कामयाब होंगे। हमारे घरों में खुशहाली आयेगी। इम्मबेसात कहते हैं, उनकी इच्छा बिहारे के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी ऐसी कोचिंग शुरू करने की है। उन्हें उम्मीद है कि इस साल उनके 40 छात्र देश की विभिन्न एनआईटी में प्रवेश में सफल होंगे।
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