इन कैदियों के परिवार के पास जमानत के लिए पैसा नहीं है। नोटबंदी भी एक वजह। जेल फंड से जमानत के पैसों का भुगतान होगा।
नई दिल्ली. एशिया की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में 616 ऐसे कैदी हैं जो पैसे न होने पर सलाखों में कैद हैं। कोई बेहद गरीब परिवार से है तो किसी के परिवार के पास नोटबंदी के चलते कैश नहीं है। ऐसे में इनके परिचित इनकी जमानत नहीं करा पा रहे हैं। अब जेल ने खुद से इनका जमानती बनकर जमानत देने का फैसला किया है।
भीड़ कम करना भी मकसद
इन कैदियों की उम्र 18 से 20 साल है। तिहाड़ के डीजी सुधीर यादव के अनुसार, जेल फंड से जमानत की राशि का भुगतान किया जाएगा। इन्हें जमानत पर रिहा करने का मकसद जेल की भीड़ कम करना है। ये बाहर जाकर अपनी गलतियां न दोहराएं। बेहतर काम करें इसलिए भी इन्हें जमानत दी जा रही है। बता दें 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर तिहाड़ में पांच दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। इसमें हाईकोर्ट के जज, एनजीओ व पुलिस के आला अधिकारियों ने शिरकत की थी। इस दौरान तमाम कैदियों को अच्छा काम करने के लिए प्रेरित किया गया और कानूनी जानकारी भी दी गई। इसी प्रोग्राम में इनकी जमानत के लिए पैसा देने का फैसला किया गया था।
सर्वे से जानकारी मिली
हाल में तिहाड़ के कैदियों के बीच एक सर्वेक्षण किया गया था। इसमें पता चला कि 616 ऐसे कैदी हैं जिनकी जमानत की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। परिवार के पास पैसा नहीं है इसलिए कैदी जेल में रहने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं, कई मामलों में जमानत की रिहाई 1500 रुपये से भी कम है। सर्वे में कैदियों ने कहा कि हम मजबूर हैं। घर वाले आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इस सर्वे के नतीजों के बाद जेल प्रशासन ने इनकी जमानत पर विचार करना शुरू किया था। वहीं निदेशक ने बताया कि इन समेत तमाम कैदियों को पांच दिन के कार्यक्रम में संविधान पर बनीं फिल्में दिखाई गईं।