कंपनियों द्वारा अलग-अलग चार्ज लेने पर 50 हजार रुपए प्रतिदिन की दर से अधिकतम 50 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है
नई दिल्ली। फेसबुक के फ्री इंटरनेट बेसिक और एयरटेल के एयरटेस जीरो स्कीम को तगड़ा झटका देते हुए भारतीय टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) ने भारत में इंटरनेट डाटा के लिए अलग-अलग चार्ज को नामंजूर कर दिया है। कंपनियों द्वारा अलग-अलग चार्ज लेने पर 50 हजार रुपए प्रतिदिन की दर से अधिकतम 50 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
ट्राई का यह फैसला फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के फ्री बेसिक्स स्कीम के लिए झटका है, जिसमें कहा गया था कि इस स्कीम के जरिए ग्रामीण भारत के लाखों लोगों को मुफ्त में इंटरनेट सुविधा मुहैया कराई जाएगी। ट्राई ने सोमवार को जारी निर्देशों में कहा है कि कोई भी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर किसी भी आफर के जरिए अलग-अलग सर्विसेस के लिए अलग टैरिफ प्लान्स नहीं घोषित कर सकता। ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बारे में जानकारी दी।
ट्राई ने दिए ये निर्देश
- – कंटेंट के आधार पर यानी कोई टेक्सट ज्यादा देखता है या वीडियो ज्यादा देखता है, इसके आधार पर इंटरनेट टैरिफ नहीं लागू किया जा सकता।
- – ट्राई ने सख्ती से कहा कि इस दिशा निर्देश का पालन करने के लिए कोई भी इंटरनेट मोबाइल कंपनी किसी अन्य यूजर, कंपनी या संगठन किसी किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकती जिससे इंटरनेट भेदभाव का मामला सामने आए।
- – मोबाइल कंपनियां आपदा कि किसी भी स्थिति में न्यूनतम टैरिफ के आधार पर इंटरनेट प्रदान करने की तैयारी में रहें।
- – नियमों के उल्लंघन के लिए किसी तरह का वित्तीय हतोत्साहन भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी
नेट न्यूट्रैलिटी शब्द आजकल काफी चलन में है। दरअसल, इसका अर्थ है मोबाइल पर बगैर भेदभाव के इंटरनेट आधारित सेवा देना। टेलीकॉम कंपनियां इसके खिलाफ हैं, लेकिन इसके हट जाने से आम आदमी को नुकसान होगा। यह शब्द पहली बार कोलंबिया विश्वविद्यालय के मीडिया विधि के प्राध्यापक टिम वू द्वारा 2003 में उपयोग किया गया था। दरअसल, अभी जब कोई उपभोक्ता किसी भी ऑपरेटर से डाटा पैक लेते हैं, तो वह उससे नेट सर्फिंग, वॉट्सऐप, वाइबर, स्काइप, वॉइस या वीडियो कॉल कर सकता है। अभी इस पर एक ही दर से शुल्क लगता है, जो इस पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति ने कितना डाटा उपयोग किया है।
कंपनियों को फायदा, लोगों को नुकसान
इससे टेलीकॉम कंपनियों को फायदा होगा, लेकिन आम जनता के लिए इंटरनेट काफी महंगा हो जाएगा। कंपनियों का तर्क है कि नई तकनीक ने उनके कारोबार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। जैसे वॉट्सऐप आने के बाद से लोगों ने एसएमएस करना कम कर दिया है या खत्म ही कर दिया है। इससे उनके कारोबार और राजस्व को नुकसान हो रहा है। इस कमी को पूरा करने के लिए वे नेट न्यूट्रैलिटी को खत्म करना चाहती हैं।
दुनिया में क्या है स्थिति
अमेरिका, चिली, नीदरलैंड और ब्राजील जैसे देश पहले ही नेट न्यूट्रैलिटी अपना चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा खुद इसके पक्ष में खुलकर बोल चुके हैं। वहीं, ट्राई का कहना है कि नेट न्यूट्रैलिटी पर भारत में कोई कानून नहीं है, इसलिए फिलहाल कंपनियों पर वह कार्रवाई नहीं कर सकती।