नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने रविवार को याकूब मेमन मामले में “न्याय का बड़ा मजाक” बना है। काटजू ने कहा कि अदालत के फैसले को ध्यान से पढ़ने के बाद उन्होंने पाया कि जिस सबूत के आधार पर मेमन को दोषी ठहराया गया वह “बहुत कमजोर” है। उन्होंने कहा, “यह सबूत सह-आरोपी का वापस लिया हुआ बयान और कथित बरामदगी है।”
वापस लिए हुए बयानों के संदर्भ ने उन्होंने कहा, “हर कोई जानता है कि हमारे देश में पुलिस किसी तरह से यातना देकर बयान लेती है।” काटजू ने कहा कि यातना ऎसी भयानक चीज है जिसके कारण कोई कुछ भी कुबूल कर लेगा। उन्होंने बरामदगी के बारे कहा, “याकूब मेमन के मामले में बयान को वापस ले लिया गया।”
21 जून को सुप्रीम कोर्ट ने याकूब मेमन की क्युरटिव याचिका को खारिज कर दिया था। जो याकूब मेमन के पास आखिरी मौका था। हालांकि 23 जून को मेमन ने फिर सुप्रीम कोर्ट से अपनी फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है।
मुुंबई में हुए 1993 के बम धमाकों के मामले में दोषी याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी दी जानी है। उसी दिन उसका जन्मदिन भी है। मुंबई में 12 मार्च 1993 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में कम से कम 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
इस मामले में मेमन एकमात्र दोषी है जिसकी मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। सुधारात्मक याचिका खारिज होने के बाद मेमन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को एक दया याचिका भेजी। राष्ट्रपति उसकी दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं।
Home / Miscellenous India / याकूब मेमन के मामले में न्याय का मजाक बना है : मार्कंडेय काटजू