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टाला जा सकता था उरी में आतंकी हमला

Published: Sep 23, 2016 10:29:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

पटना की युवती ने फेसबुक फ्रेंड को 10 दिन पहले ही बता दिया था – हो सकता है आतंकी हमला

uri attack

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रामपुर। क्या उरी में आतंकी हमले का अंदेशा 10 दिन पहले ही हो गया था। ऐसा खुलासा होता है सोशल मीडिया के माध्यम से। दरअसल खाड़ी देश में रहने वाली पटना की एक युवती को 10 दिन पहले यह अंदेशा हो गया था। इसकी जानकारी भी उसने अपने एक फेसबुक फ्रेंड को दी थी। यूपी के रामपुर में रहने वाले इस दोस्त ने यह जानकारी पुलिस तक पहुंचा भी दी थी। पुलिस और जांच एजेंसियां अगर इस जानकारी के आधार पर अलर्ट हो जाती तो उरी हमला टाला जा सकता था।

यूपी के एडीजी (कानून-व्यवस्था) दलजीत चौधरी के अनुसार इस मामले की जांच एटीएस को सौंप दी गई है। रामपुर के एक आरटीआई कार्यकर्ता से खाड़ी देश की एक युवती फेसबुक के जरिए जुड़ी हुई है। यह युवती मूलरूप से पटना की रहने वाली है। आरटीआई कार्यकर्ता के फेसबुक वॉल पर मोबाइल नंबर भी दर्ज है, जिस पर वह व्हाट्सएप चलाते हैं। सोशल साइट के जरिए यह महिला उनसे व्हाट्सएप से जुड़ी।

युवती ने आरटीआई कार्यकर्ता को मैसेज भेजे
5 सितंबर को खाड़ी देश की इस युवती ने आरटीआई कार्यकर्ता को मैसेज भेजे थे। इसमें उसने बताया कि इरफान यूनुस नाम के पाकिस्तानी शख्स के बारे में उसके पास जानकारी है, जिसे शेयर कर रही है। यह शख्स आजाद कश्मीर से है, जो कश्मीर में आतंकी घटना को अंजाम देने की फिराक में है। इसके बाद उसने आरटीआई कार्यकर्ता को व्हाट्सएप पर ही उस संदिग्ध का फोटो और अन्य जानकारियां भी शेयर कीं।

आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि फोटो और अन्य जानकारियों का प्रिंट लेकर उन्होंने एसपी को रजिस्टर्ड डाक से भेजा। इस पर एसपी ने उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक, 8 सितंबर को उन्होंने एसपी को पत्र भेजा और 9 सितंबर की शाम को एलआईयू ने उससे संपर्क किया। 10 सितंबर को आईबी और एसटीएफ लखनऊ की टीम ने भी रामपुर आकर उससे जानकारी ली। उन्होंने उस युवती का नंबर एसटीएफ को दिया और उससे बात भी कराई। इस पूरे मामले में जब रामपुर के पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

रामपुर पुलिस को इस मामले की सूचना मिली थी, जिसकी जांच आईजी एटीएस कर रहे हैं। फिलहाल उरी हमले से इसका कनेक्शन होने की पुष्टि नहीं हुई है।
– दलजीत चौधरी, एडीजी कानून व्यवस्था
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