नई दिल्ली। उरी आतंकी हमलों के महीने भर पहले ही दो आतंकी दस्तों ने पाक अधिकृत कश्मीर में ट्रेनिंग ली थी। इन हमलों से महीने भर पहले गिरफ्तार लश्कर ए तैयबा के आतंकी बहादुर अली ने इस तरह की जानकारी जांच एजेंसियों को दी है।
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार अली ने जानकारी दी कि पास्तिान के कब्जे वाले कश्मीर में जैश ए मोहम्मद सहित दो आतंकी दस्तों की टुकडिय़ों को देखा था। हालांकि नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने अली से हुई पूछताछ की जानकारी देने से इंकार किया। 25 जुलाई को कुपवाड़ा से बहादुर अली को गिरफ्तार किया था।
सूत्रों के अनुसार अली ने पूछताछ में बताया कि आतंकी गिरोह की दूसरी टुकड़ी अल बद्र की थी। दोनों ही भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराने की तैयारीयों में जुटे थे। एक सीनियर खुफिया के अनुसार अली के बताने के बाद अगस्त के पहले वीक में पाक से ऑपरेट करने वाले आतंकी गुटों के फिदायीन हमले की आशंका को देखते हुए एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को अलर्ट जारी कर दिया था।
उरी हमलों की जांच में सामने आया कि हमलावर आतंकवादी मुजफ्फराबाद से आए थे। एनआईए ने 20 साल के फैसल हुसैन अवान और 19 साल के अहसान खुर्शीद को गिरफ्तार किया था। दोनों गाइड बताए जाते हैं। दोनों ने बताया कि आतंकियों को पीओके के गैराबाद में पीर चनाशाही के पास कैंप में ट्रेनिंग दी गई थी। इन दोनों गाइड्स पर उरी हमलावरों की मदद का आरोप है।
दूसरी ओर एनआईए ने बयान जारी कर कहा है कि गाइड ने मारे गए आतंकियों में एक की पहचान मुजफ्फराबाद के धारबंग के हफीज अहमद के तौर पर की है। दोनों गाइड को बुधवार को जम्मू कश्मीर में एनआईए की एक अदालत में पेश किया गया जहां से उनको 10 दिन के लिए एनआईए की हिरासत में भेज दिया गया। सूत्रों ने बताया कि दोनों को देर शाम दिल्ली लाया गया, जहां उनसे कई सिक्यॉरिटी एजेंसियों के अफसरों की मिली जुली टीम पूछताछ करेगी।
दोनों संदिग्धों से हुई शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि वे उन चारों आतंकियों से पहली बार ही मिले थे। फिलहाल बाकी तीन आतंकियों की पहचान पक्की की जा रही है, जबकि उनके हैंडलर की पहचान मोहम्मद कबीर अवान और बशारत के तौर पर हुई है। इनके जैश-ए-मोहम्मद से ताल्लुक होने का शक है। उन्होंने बताया कि आतंकियों को उड़ी तक लाने के लिए 40,000 रुपये मिले थे। मामले के जानकार सूत्र ने कहा, ‘हमें शक है कि उन्होंने पहले भी आतंकियों के लिए गाइड का काम किया होगा।’