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उत्तराखंड: राष्ट्रपति शासन हटाने वाले CJ का हुआ ट्रांसफर

Published: May 04, 2016 05:18:00 pm

Submitted by:

Rakesh Mishra

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को गलत करार देने वाले नैनीताल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ को हैदराबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया

नई दिल्ली। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को गलत करार देने वाले नैनीताल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ को हैदराबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया है। जस्टिस जोसफ और जस्टिस वीके बिष्ट की बेंच ने 22 अप्रैल को उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश देते दिया था। फैसला सुनाने से पहले जस्टिस जोसफ ने केंद्र सरकार के खिलाफ कई सख्त टिप्पणियां की थीं। बी भोंसले को नैनीताल हाईकोर्ट का नया चीफ जस्टिस बनाया गया है।

जुलाई 2014 में यूपी के गवर्नर अजीज कुरैशी ने जोसफ को चीफ जस्टिस को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी। 17 जून 1958 में जन्मे जस्टिस जोसफ ने केंद्रीय विद्यालय कोच्चि और नई दिल्ली, लोयोला कॉलेज चेन्नई से शिक्षा प्राप्त की। एर्नाकुलम के राजकीय लॉ कॉलेज से पास आउट जोसफ ने 12 जनवरी, 1982 में दिल्ली से सिविल वकालत शुरू की थी। उन्होंने केरल हाईकोर्ट में भी वकालत की। केरल हाईकोर्ट में उन्हें 14 अक्टूबर 2004 को स्थायी जज के रूप में नियुक्त किया गया था। हैदराबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए गए हैं। जबकि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अजय माणिक राव को सुप्रीम कोर्ट से जुड़ेंगे।

सुप्रीम कोर्ट
की केंद्र को 6 तक की मोहलत
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति की संभावना के बारे में उसे सूचित करने के लिए केंद्र को 6 मई तक का समय दिया है। बुधवार को अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार को इस सिलसिले में सुझाव दे दिए हैं, लेकिन उन्हें सरकार से अभी तक कोई निर्देश नहीं मिला है। सुनवाई के दौरान उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के वकील ने कहा कि यदि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के सुझाव स्वीकार करती है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि अटॉर्नी जनरल इस सुझाव पर केंद्र के रुख के बारे में अदालत को अवगत नहीं कराते तो भी सुनवाई 6 मई को ही शुरू होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह उत्तराखंड विधानसभा में कोर्ट की देखरेख में शक्ति परीक्षण करवाने की संभावना पर निर्देश लें और कोर्ट को सूचित करें।
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