नई दिल्ली। दुनियाभर के कई यूजर्स की पहली बार इंटरनेट से पहचान कराने वाली इंटरनेट कंपनी याहू ने अंतत: अपने कोर ऑनलाइन एसेट्स बेच दिए। अमरीकी टेलीकॉम कंपनी वेरिजोन कम्यूनिकेशन्स ने 483 करोड़ डॉलर (32 हजार करोड़ रुपए) में याहू सर्च इंजन और एडवर्टीजमेंट ऑपरेशन खरीद लिए हैं। साल 2017 की पहली तिमाही तक यह डील पूरी हो जाएगी।
याहू से हुई इस डील में वेरिजोन ने एटीएंडटी इंक, क्विकन लोन इंक, वेक्टर कैपिटल मैनेजमेंट और टीपीजी को भी पीछे छोड़ दिया। इस डील में याहू के स्वामित्व वाले अलीबाबा के शेयर, कन्वर्टिबल नोट्स, जापान के शेयर शामिल नहीं होंगे, जबकि रियल एस्टेट एसेट्स शामिल हैं। वेरिजोन की अगली नजर अब याहू के उन पेटेंट्स पर है, जिन्हें याहू अलग-अलग नीलामी के जरिए बेच रहा है। इससे याहू को एक अरब डॉलर की कमाई होने की संभावना है।
इस डील के बाद ऑपरेटिंग कंपनी के तौर पर याहू की पहचान खत्म हो गई। याहू का याहू जापान में बस 35.5 पर्सेंट स्टेक बच कर रह गया है। इसके अलावा याहू की 15 पर्सेंट हिस्सेदारी चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अली बाबा में भी है। लोगों के बीच लोकप्रिय रहे याहू मेसेंजर को भी बंद करने का फैसला लिया जा चुका है।
वो तीन बड़ी गलतियां, जो याहू ने कीगूगल को खरीदने का मौका गंवायायाहू ने वर्ष 2000 में सर्च कंटेंट, सर्च बॉक्स की ब्रांडिंग के लिए गूगल की सेवाएं ली थीं। तब के याहू सीईओ टेरी सेमेल ने तब गूगल के संस्थापक लैरी पेज को एक अरब डॉलर में कंपनी बेचने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन थोड़ी रकम को लेकर सौदा नहीं हुआ। 2002 में गूगल शीर्ष सर्च इंजन बन गया।
फेसबुक की कीमत भी पहचान नहीं सकीवर्ष 2006 में याहू ने फेसबुक को भी एक अरब डॉलर में खरीदने का सौदा किया, लेकिन कीमत को लेकर यहां भी सौदा नहीं हो पाया। आज फेसबुक का बाजार मूल्य 340 अरब डाॠलर है।
माइक्रोसॉफ्ट की 45 अरब डॉलर की पेशकश ठुकराईजनवरी 2008 में जेरी यंग खुद सीईओ बने, उस वक्त माइक्रोसॉफ्ट ने याहू को उसके बाजार से 60 फीसदी ज्यादा दाम में खरीदने के लिए 45 अरब डॉलर की आकर्षक पेशकश की थी। लेकिन याहू ने यह मौका गंवा दिया। नवंबर में यंग ने इस्तीफा दे दिया।
आज याहू के लिए और खासतौर पर मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है। मैं रुकने की सोच रही हूं। मैं याहू से बेहद प्यार करती हूं।
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