जल संकट: 2050 तक भारत को विदेशों से खरीदना पड़ेगा पानी
Published: Apr 22, 2016 02:43:00 pm
मुंबई। आने वाले वक्त में देश को पीने का पानी विदेशों से खरीदना पड़ सकता है। केन्द्रीय भूजल बोर्ड के मुताबिक 2050 तक प्रत्येक व्यक्ति के लिए 3,120 लीटर पानी ही बचेगा 2001 के आंकड़ों के मुताबिक देश में भूमिगत जल की स्थिति काफी गंभीर है। प्रति व्यक्ति भूमिगत जल की उपलब्धि 5,120 लीटर हो […]
मुंबई। आने वाले वक्त में देश को पीने का पानी विदेशों से खरीदना पड़ सकता है। केन्द्रीय भूजल बोर्ड के मुताबिक 2050 तक प्रत्येक व्यक्ति के लिए 3,120 लीटर पानी ही बचेगा 2001 के आंकड़ों के मुताबिक देश में भूमिगत जल की स्थिति काफी गंभीर है। प्रति व्यक्ति भूमिगत जल की उपलब्धि 5,120 लीटर हो गई है।
इतनी तेजी से सूख रहा है अमृत
1951 में ये उपलब्धता 14,180 लीटर थी। 1951 की उपलब्धता का अब यह 35 फीसद ही रह गई है। 1991 में ये आधे पर पहुंच गई थी। अनुमान के मुताबिक 2025 तक प्रति व्यक्ति के लिए प्रति दिन के हिसाब से 1951 की तुलना में केवल 25 फीसदी भूमिगत जल ही शेष बचेगा। केन्द्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक साल 2050 तक ये घटकर केवल 22 फीसदी ही बचेगी। जमीन के अंदर जल के स्रोतों का तेजी से घटना कई अन्य समस्याओं का भी संकेत है। बारिश के पानी को तालाब,झीलों और कुओं में जमा नहीं करने की सजगता,जागरुकता में कमी और घटती हरियाली भूमिगत जल के तेजी से खत्म होने के पीछे की कुछ प्रमुख वजहें हैं। केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने भूमिगत जल को रिचार्ज करने की एक कृत्रिम योजना भी बनाई है।
भूमिगत जल ही है सिंचाई का जरिया
इस मास्टर प्लान के मुताबिक तेजी से होने वाले विकास और भूमिगत जल के स्रोतों का अलग अलग चीजों में दोहर किए जाने से हालांकि सिंचाई युक्त खेती,आर्थिक विकास और शहरी भारत के जीवन स्तर में काफी सुधार आया है। देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की 85 फीसदी से ज्यादा घरेलू जरुरतों के लिए भूमिगत जल ही एकमात्र स्रोत है। शहरी इलाकों में 50 फीसदी पानी की जरूरत भूमिगत जेल से पूरी होती है। देश में होने वाली कुल कृषि में 50 फीसद सिंचाई का माध्यम भी भूमिगत जल ही है। जमीन के अंदर का ये जल तेजी से घटता जा रहा है।
नए तरीकों का प्लान बना रही सरकार
तेजी से बढ़ती आबादी और इसकी बढ़ती जरूरतों के कारण वह दिन दूर नहीं जब भूमिगत जल का स्तर घटकर उतना ही रह जाएगा जितना कि एक दिन में इंसान को जरूरत पड़ती है। जल स्रोत एवं नदी विकास सचिव शशि शेखर के मुताबिक हालात और खराब ना हों इसके पहले सरकार जल प्रंबंधन के नए तौर तरीके बनाने का प्लान कर रही है। सरकार किसानों को ड्रिप इरिगेशन के लिए फंड देगी। साथ ही ग्राउंड वाटर के ज्यादा दोहन के लिए पेनल्टी लगाई जाएगी। इसके लिए एक मॉडल वाटर लॉ बनाया जाएगा। शेखर के मुताबिक 2000 के आंकड़ों को देखें तो हर शख्स को 2 हजार क्यूबिक मीटर/ईयर पानी मिलता था जो 2016 में ये आंकड़ा घटकर 1500 क्यूबिक मीटर/ईयर पानी पर आ गया है।
15 साल बाद कैसे होंगे हालात
15 साल बाद हालात और खराब होंगे। एक व्यक्ति को 1100 क्यूबिक मीटर/ईयर पानी में गुजारा करना पड़ेगा। मतलब साफ है कि अगर आपको साल में 1500 क्यूबिक मीटर/ईयर पानी मिल रहा है तो संकट है। एक आदमी को 1500 क्यूबिक मीटर/ईयर पानी की खपत पर चीन वाटर क्राइसिस घोषित कर चुका है। शेखर के मुताबिक सरकार भूमिगत जल के नियमों में सुधार करने जा रही है। अगले 15 दिन में हम मॉडल कानून तैयार कर लेंगे। जल प्रबंधन राज्य का विषय होता है इसलिए हम उन्हें मॉडल कानून का प्रारूप बनाकर देंगे। अब ये उन पर होगा कि वे इसे मानते है कि नहीं। जिन इलाकों में पानी की कमी के चलते डार्क जोन घोषित किया गया है,वहां पानी के इस्तेमाल की सीमा तय होगी। डार्क जोन में कुएं की खुदाई और इलेक्ट्रिक पंपों को रेगुलेट किया जाएगा।