भारत सीओपी-21 पर 2 अक्टूबर को मुहर लगाएगा : मोदी
Published: Sep 25, 2016 11:41:00 pm
उन्होंने कहा कि दुनिया अभी चिंतित है कि दो डिग्री सेल्शियस तापमान बढ़ जाएगा तो दुनिया के कई देश अछूते नहीं रहेंगे
कोझिकोड। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को घोषणा की कि महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर को जलवायु परिवर्तन से लडऩे के लिए भारत सीओपी-21 (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज प्रोटोकॉल) को मंजूरी दे देगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, अब सीओपी 21 प्रोटोकॉल को मंजूरी देने का समय आ गया है। भारत यह गांधी जयंती दो अक्टूबर को करेगा।
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने अपना जीवन न्यूनतम कार्बन चिन्हों (कार्बन फुटप्रिंट) के साथ व्यतीत किया था।गत साल भी 2 अक्टूबर को भारत ने पर्यावरण संरक्षण पर अपनी कार्ययोजना युनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) को सौंपी थी। यूएनएफसीसीसी ने ही दिसम्बर 2015 में पेरिस में आयोजित सीओपी-21 में जलवायु परिवर्तन से निपटने के समझौते के लिए मार्ग प्रशस्त किया। जलवायु परिवर्तन पर चिंता जाहिर करते हुए मोदी ने कहा कि पेरिस समझौते के अनुरूप पूरी दुनिया बढ़ते वैश्विक तापमान को 2 डिग्री कम रखने के लिए प्रयास कर रही है।
पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी-21 में उपस्थित 197 देशों में भारत समेत 191 देशों ने पहले सर्वव्यापक, वैधानिक रूप से बाध्यकारी वैश्विक जलवायु समझौते को अंगीकार किया था। 46वें ‘अंतरराष्ट्रीय मातृ पृथ्वी दिवस’ पर ‘पर्यावरण लोकतंत्र’ की स्थापना के लिए गत 22 अप्रैल को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त रष्ट्र मुख्यालय में इन देशों ने पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले इन 191 देशों में 60 देशों का वैश्विक उत्सर्जन में 47.79 प्रतिशत योगदान है। ये देश सीओपी-21 प्रोटोकॉल को पहले ही मंजूरी दे चुके हैं जो साल 2020 में लागू होगा। समझौते पर दस्तखत करने वाले कम से कम 55 देश हैं जिनका हानिकारक वैश्विक उत्सर्जन में 55 प्रतिशत योगदान है और उन्हें समझौता लागू होने से पहले इसे मंजूरी देनी है।
चीन और अमेरिका दोनों ने समझौते को मंजूरी दे दी है। चीन 20.09 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है और इसके बाद अमेरिका का उत्सर्जन में 17.89 प्रतिशत हिस्सा है। यूरोपीय संघ ने अभी तक समझौते को मंजूरी नहीं दी है, जबकि वैश्विक उत्सर्जन में उसकी भागीदारी 12.10 प्रतिशत है। हानिकारक उत्सर्जन में भारत का हिस्सा 4.10 प्रतिशत है।
उत्सर्जन कम करने के लिए भारत ने साल 2022 तक स्वच्छ ऊर्जा (सौर और पवन उर्जा) में अपनी भागीदारी 40 प्रतिशत बढ़ाकर 175 गीगावाट तक बढ़ाने का वादा किया है। भारत का सौर ऊर्जा कार्यक्रम दुनिया में तेजी से बढऩे वाले सौर ऊर्जा कार्यक्रमों में शामिल है। भारत का लक्ष्य साल 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का है।