सरकारी वकील ने कहा सुशुप्तावस्था में हैं भगवान विष्णु, जगाने वाले मंत्र का नहीं किया जा सकता इस्तेमाल
केरल। देश की सर्वोच्च कोर्ट में लगभग एक घंटे तक इस विषय पर बहस की गई कि संस्कृत का श्लोक “वेंकटेश सुप्रभातम” का उपयोग पद्मनाभस्वामी मंदिर में भगवान विष्णु को जगाने के लिए किया जाएगा या नहीं? केरल के तिरुवनंतपुरम इस में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर के खजाने के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही थी। भारत के सर्वश्रेष्ठ वकीलों में से एक के.के. वेनुगोपाल त्रवनकोर राजसी परिवार की ओर से थे और गोपाल सुब्रह्मण्यम कोर्ट की तरफ से बहस कर रहे थे।
मंदिर का प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा संभाला जाता है, कोर्ट ने आदेश दिया था कि मंदिर के सभी गुंबदों को जनता के लिए खोल दिया जाए एंव खजाने की जांच पड़ताल की जाए। कोर्ट ने सिर्फ एक गुंबद के खजाने को खोले जाने से इन्कार किया था।
गोपाल सुब्रह्मण्यम ने बहस में कहा कि सुप्रभातम मंत्र में मंदिर का वर्णन किया गया है और इस मंत्र के कुछ हिस्सों में प्रभू पद्मनाभ का भी नाम आता है अतः मंदिर में इसका उच्चारण जारी रखा जाना चाहिए।
वहीं के.के. वेनुगोपाल ने कहा कि इस मंदिर के देव लंबी नींद में हैं जिसे योग निद्रा कहा जाता है, और उन्हें सुप्रभातम मंत्र से जगाया जाना ठीक नहीं होगा। यह मंदिर के सदियों पुराने अनुष्ठान के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो अनुष्ठान और प्रथाएं मंदिर का हिस्सा नहीं हैं उन्हें मंदिर में शामिल किया जा रहा है। यह चीजें हमेशा के लिए मंदिर का हिस्सा बन सकती हैं। लेकिन गोपाल सुब्रह्मण्यम ने इस बात का विरोध किया और संस्कृत श्लोक के उन हिस्सों को बताना शुरु कर दिया जिनमें पद्मनाभस्वामी का वर्णन किया गया है।