नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को वॉट्सऐप ने मानने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कंपनी से कहा था कि मैसेजिंग ऐप को डिलीट करने वाले यूजर्स का सारा डेटा सर्वर्स से हटा दिया जाए। फेसबुक के मालिकाना हक वाले वॉट्सऐप को कोर्ट ने प्रिवेसी पॉलिसी अपडेट को लेकर ये आदेश दिया था। यह अपडेट 26 सितंबर से लागू कर दिया गया है।
कोर्ट ने कहा था जो लोग आपके प्लेटफ़ॉर्म पर नहीं रहना चाहते उनके डेटा न किया जाए शेयर
कोर्ट ने वॉट्सऐप को आदेश दिया था कि जो यूजर्स आपके प्लेटफॉर्म पर नहीं रहना चाहते और फेसबुक के साथ इन्फॉर्मेशन शेयर नहीं करना चाहते, अगर वे अपना अकाउंट डिलीट करते हैं तो उनकी पूरी इन्फर्मेशन डिलीट कर दी जाए। यह भी कहा गया था कि मौजूदा वॉट्सऐप यूजर्स की 25 सितंबर तक जुटाई गई इन्फॉर्मेशन भी शेयर न की जाए।
पिछले सालों में इकट्ठा किया गया डेटा शेयर नहीं किया जा सकता
कोर्ट ने कहा था कि जो यूजर्स सर्विस को यूज करना जारी रखते हैं, वॉट्सऐप उनका 25 सितंबर से बाद लिया गया डेटा ही शेयर कर सकता है। इसका मतलब हुआ कि जिन लोगों ने कंपनी के नए टर्म्स ऐंड कंडीशंस को स्वीकार नहीं किया है, पिछले सालों में इकट्ठा किया गया उनका डेटा शेयर नहीं किया जा सकता।
तय योजना के मुताबिक ही शेयर हो रहे डेटा
मगर वॉट्सऐप ने मैशेबल इंडिया को बताया है कि वह फेसबुक से पहले से तय योजना के मुताबिक ही डेटा शेयर कर रहा है। कंपनी का कहना है कि दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशों का हमारी प्रिवेसी पॉलिसी के नियमों और शर्तों में बदलाव पर कोई असर नही पड़ा है। मैशेबल के मुताबिक वॉट्सऐप की प्रवक्ता एन ये ने कहा कि पॉलिसी ऐंड टर्म्स ऑफ सर्विसेज को अपडेट किए जाने पर आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार और ट्राई से वॉट्सऐप जैसे प्लैटॉफर्म्स को रेग्युलेट करने की सभावनाएं तलाशने को कहा है। कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की ओर से दाखिल पीआईएल पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया था। इस जनहित याचिका में वॉट्सऐप के पॉलिसी अपडेट को लेकर आपत्ति जताई गई थी।