अटल सरकार द्वारा परमाणु विस्फोट करने के बाद भारत पर अमरीका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए थे। डॉक्टर कलाम ने ही इन प्रतिबंधों के बावजूद भारत को परमाणु और बैलेस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में ताकतवर बनाने में अहमद योगदान दिया था।
डॉक्टर कलाम 1960 में युवा रॉकेट वैज्ञानिक के तौर पर अमरीका गए थे। इस दौरान वह नासा के रिसर्च सेंटर में रूके थे। उस वक्त अमरीका भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में मदद करता था। हालांकि, तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा 1974 में किए गए पहले परमाणु विस्फोट के बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी। अमरीका ने विस्फोटों के बाद भारत के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों पर कठोर प्रतिबंध लगा दिए थे।
1998 में अटल सरकार ने फिर से परमाणु परीक्षण करने का फैसला किया। इसके लिए ए पी जे कलाम को मेजर जनरल पृथ्वीराज का नाम दिया गया। अमरीकी खुफिया सैटेलाइटों से बचने के लिए वह सेना की वर्दी में रहते थे ताकि परमाणु कार्यक्रम पर गंभीरता से काम किया जा सके।
अमरीका की नजरों में नहीं आए, इसके लिए उन्होंने परमाणू कार्यक्रमों को मिसाइल मैन के रूप चलाया। यही वजह है कि ये बम “हिंदू बम” के तमगों से बच गए। पश्चिमी अखबार और मुस्लिम देश भारत को इस्लामिक बम के खिलाफ यह टैग देना चाहते थे।