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कलाम ने “हिंदू बम” के लेबल से देश को बचाया था

Published: Jul 29, 2015 06:33:00 pm

अटल सरकार द्वारा परमाणु विस्फोट करने के बाद भारत पर अमरीका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए थे

APJ Kalam

APJ Kalam

नई दिल्ली। डॉक्टर अब्दुल कलाम जब (2002-2007) देश के राष्ट्रपति थे, तब वह एक बार भी अमरीका के दौरे पर नहीं गए थे। 9/11 आतंकी हमले के बाद वॉशिंगटन में गुस्सा चरम पर था और उसने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। हमले के बाद बुश प्रशासन भारत-अमरीका परमाणु संधि पर गंभीरता से विचार नहीं कर रहा था।

हालांकि, अमरीका ने भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने के लिए कदम बढ़ा दिए थे। इन संबंधों के लिए बुश प्रशासन को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह सरकार से मिलन बढ़ाना था। लेकिन, सही मायने में डॉक्टर कलाम वह व्यक्ति थे जिनके पास अमरीकी सरकार को जाना था।

अटल सरकार द्वारा परमाणु विस्फोट करने के बाद भारत पर अमरीका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए थे। डॉक्टर कलाम ने ही इन प्रतिबंधों के बावजूद भारत को परमाणु और बैलेस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में ताकतवर बनाने में अहमद योगदान दिया था।

डॉक्टर कलाम 1960 में युवा रॉकेट वैज्ञानिक के तौर पर अमरीका गए थे। इस दौरान वह नासा के रिसर्च सेंटर में रूके थे। उस वक्त अमरीका भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में मदद करता था। हालांकि, तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा 1974 में किए गए पहले परमाणु विस्फोट के बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी। अमरीका ने विस्फोटों के बाद भारत के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों पर कठोर प्रतिबंध लगा दिए थे।

1998 में अटल सरकार ने फिर से परमाणु परीक्षण करने का फैसला किया। इसके लिए ए पी जे कलाम को मेजर जनरल पृथ्वीराज का नाम दिया गया। अमरीकी खुफिया सैटेलाइटों से बचने के लिए वह सेना की वर्दी में रहते थे ताकि परमाणु कार्यक्रम पर गंभीरता से काम किया जा सके।

अमरीका की नजरों में नहीं आए, इसके लिए उन्होंने परमाणू कार्यक्रमों को मिसाइल मैन के रूप चलाया। यही वजह है कि ये बम “हिंदू बम” के तमगों से बच गए। पश्चिमी अखबार और मुस्लिम देश भारत को इस्लामिक बम के खिलाफ यह टैग देना चाहते थे।

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