नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक को गैर कानूनी और मुस्लिम महिलाओं के गौरवपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन बताने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों से अपना पक्ष रखने को कहा है। अदालत ने मामले को ट्रिपल […]
नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक को गैर कानूनी और मुस्लिम महिलाओं के गौरवपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन बताने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों से अपना पक्ष रखने को कहा है।
अदालत ने मामले को ट्रिपल तलाक से जुड़ी दूसरी याचिकाओं के साथ जोड़ा। मुस्लिम महिला इशरत जहां ने याचिका में तीन तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। उसने याचिका में सवाल किया है कि क्या मनमाने और एकतरफा तीन तलाक से किसी महिला को ससुराल में उसके हक और बच्चों की कस्टडी के अधिकार से वंचित किया जा सकता है? इशरत जहां ने कोर्ट से मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लिकेशन एक्ट,1937 के सेक्शन 2 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।
इशरत जहां हावड़ा की रहने वाली है। उसने अपने बच्चों की कस्टडी भी मांगी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे पुलिस और हाईकोर्ट में शिकायत करने को कहा है। इशरत ने याचिका में कहा कि उसके पति ने दुबई से फोन पर ही तलाक दे दिया और चार बच्चों को जबरन छीन लिया। इशरत ने बताया कि उसका निकाह 2001 में हुआ था और उसके 22 साल तक की उम्र के बच्चे हैं,जो उसके पति ने जबरन अपने पास रख लिए हैं।
याचिका में बच्चों को वापस दिलाने और उसे पश्चिम बंगाल पुलिस से सुरक्षा दिलाने की मांग की गई है। इशरत के मुताबिक तलाक के बावजूद वह अपने ससुराल में रह रही है,जहां उसकी जान को खतरा है। इशरत का कहना है कि उसका पति और अन्य रिश्तेदार ससुराल से बाहर करने के लिए लगातार कोशिशें कर रहे हैं। उसके पास कोई सहारा नहीं है। वह अपनी बहन की मदद से किसी तरह रह रही है।
इशरत ने कहा कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। याचिका के मुताबिक ट्रेपल तलाक गैर कानूनी और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही नैनीताल की शायरा बानो,जयपुर की आफरीन समेत कई अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस जारी कर चुका है। बोर्ड ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए। कोर्ट ने केन्द्र से भी जवाब दाखिल करने को कहा था।