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कश्मीर : यशंवत सिंहा ने की अलगाववादी नेताओं से मुलाकात 

Published: Oct 25, 2016 11:35:00 pm

यशवंत सिन्हा की अगुवाई में पांच सदस्यीय दल ने घाटी में जारी गतिरोध को खत्म करने के उद्देश्य से अलगाववादी नेता  से मुलाकात की।

Yashwant Sinha meets separatist leader

Yashwant Sinha meets separatist leader

श्रीनगर। कश्मीर घाटी में तीन महीने से ज्यादा समय से जारी अस्थिरता के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा की अगुवाई में पांच सदस्यीय दल ने घाटी में जारी गतिरोध को खत्म करने के उद्देश्य से मंगलवार को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक से मुलाकात की।

इस दल में जम्मू एवं कश्मीर में सेवा दे चुके पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक, पत्रकार भारत भूषण और सामाजिक कार्यकर्ता सुशोभा बर्वे शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को श्रीनगर पहुंचा और सीधे हैदरपुरा स्थित गिलानी के घर पहुंचा।

उल्लेखनीय है कि सितंबर में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने घाटी के दौरे के दौरान अलगाववादी नेताओं से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन गिलानी ने वामपंथी दल के नेता सीताराम येचुरी और तीन अन्य गैर-भाजपाई सांसदों के लिए अपने घर के दरवाजे तक नहीं खोले थे। सिन्हा ने कड़ी सुरक्षा घेरे में अपने घर में नजरबंद गिलानी से मुलाकात के बाद उनके घर के बाहर पत्रकारों से कहा कि हमारा मकसद सभी से मुलाकात कर विचार-विमर्श करना था, और हमारा मकसद सफल रहा।

प्रतिनिधिमंडल इसके बाद मिरवाइज फारूक से मिलने नगीन स्थित उनके आवास पहुंचा। मिरवाइज को श्रीनगर में एक अतिथि गृह में नजरबंद रखा गया था, जहां से वह एक दिन पहले ही अपने घर लौटे हैं। हालांकि वह अभी भी अपने घर में नजरबंद चल रहे हैं। उनके जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक से भी मिलने की उम्मीद है, जिन्हें स्वास्थ्य कारणों से जेल से श्रीनगर अस्पताल में भेजा गया है।

सिन्हा ने कहा कि वह मानवता के लिए कश्मीर घाटी आए हैं और उनके इस दौरे को अलगाववादी नेताओं के साथ चल रहे गतिरोध को खत्म करने के केंद्र सरकार के प्रयास के तौर पर न देखा जाए। अलगाववादी समूहों से ताजा बातचीत की शुरुआत घाटी में करीब 108 दिनों की अशांति के बाद हुई है। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के आठ जुलाई को मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा भड़क उठी। तब से सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा है।

सिन्हा ने कहा कि हमारा उद्देश्य कश्मीर के लोगों की शिकायतों और दर्द को साझा करना है। उम्मीद है कि अस्थिरता को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। वे यहां किसी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर नहीं आए हैं। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य हबीबुल्ला ने कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल किसी सरकार या राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व नहीं करता। कश्मीर वासियों की समस्याओं को समझने की दिशा में यह पूरी तरह हमारा निजी प्रयास है।

डिजिटल समाचार माध्यम ‘कैच न्यूज’ के संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार भारत भूषण ने हालांकि अलगाववादी नेताओं के साथ हुई बैठक का ब्योरा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि माफ कीजिएगा, इस बारे में मैं बात नहीं कर सकता।

उधर भाजपा ने सिन्हा के इस दौरे से खुद को अलग करते हुए कहा है कि यह निजी स्तर पर किया जा रहा व्यक्तिगत दौरा है। भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि यह भाजपा की ओर से भेजा गया प्रतिनिधिमंडल नहीं है। भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

उल्लेखनीय है कि सिन्हा के साथ गए हबीबुल्ला, काक और बर्वे का कश्मीर से काफी पुराना नाता रहा है। बर्वे सामाजिक मुद्दों पर कश्मीर के युवकों और युवतियों के साथ चार वर्ष तक काम कर चुके हैं। हबीबुल्ला 1993 तक कश्मीर में सेवारत रहे, जिस दौरान कश्मीर आतंकवाद से बुरी तरह जूझ रहा था। वहीं काक कश्मीरी पंडित हैं और एक धर्मार्थ संगठन हीलिंग कश्मीर से जुड़े हुए हैं।
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