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सोशल मीडिया पर आपका व्यवहार तय करेगा आपको लोन मिलेगा या नहीं?

Published: Oct 24, 2016 10:02:00 am

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सोशल मीडिया पर आपका व्यवहार कैसा है? इस आधार पर अब आपको लोन दिया जाएगा। 

home loan

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नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर आपका व्यवहार कैसा है? इस आधार पर अब आपको लोन दिया जाएगा। अगर आप सोशल मीडिया पर शिष्ट नहीं हैं तो आपको लोन कैंसिल भी हो सकता है। अगर आपको लोन लेना है तो सोशल मीडिया पर शिष्टाचार सीखना ही होगा। अब इसी से तय होगा कि आपको पर्सनल लोन पर 30 प्रतिशत ब्याज देना होगा या 9 प्रतिशत ब्याज।

सोशल मीडिया पर आपकी हर हरकत पर इन लोगों की है पैनी नजर

इंस्टापैसा, गोपेसेंस, फेयरसेंट, कैशकेयर और वोटफॉरकैश जैसी नए समय की ऑनलाइन लोन देने वाली संस्थाएं और क्रेडिटमंत्री व बैंकबाजार.कॉम जैसे क्रेडिट मार्केट प्लेस लोन लेने वाले ग्राहकों की जानकारी के लिए केवल सैलरी स्लिप या बैंक स्टेटमेंट तक सीमित नहीं हैं बल्कि यह आपके फोन लोकेशन डेटा, एसएमस और सोशल मीडिया पर आपके व्यवहार पर भी पैनी नजर बनाए रखती हैं। इनके पर्सनेलिटी स्कोर के आधार पर ही लोन लेने वाले की विश्वसनीयता को जांचा जाएगा।

सोशल मीडिया पर अगर चाल-चलन ठीक नहीं तो नहीं मिलेगा लोन

बता दें कि क्रेडिटमंत्री और बैंकबाजार.कॉम जैसी कंपनियां ग्राहकों को कम से कम ब्याज दर पर बैंक लोन दिलाने में मदद करती हैं। इंस्टापैसा के सीईओ निखिल सामा ने बताया कि हम किसी व्यक्ति ने गूगल पर क्या सर्च किया, कौन सी वेबसाइट देखी, इसकी हिस्ट्री देख सकते हैं। इसके अलावा ट्विटर जैसी वेबसाइटों पर उनके चाल-चलन पर भी नजर रखी जाती है। कैशई के फाउंडर वी रमन कुमार ने बताया कि लोन के लिए अप्लाय करने वाला बिना मकसद का जीवन जी रहा है, शराब पीकर गाड़ी चलाता है, जुआ खेलता है या ऐसे ही जोखिम वाले काम करता है या नहीं इससे इन सभी बातों की जानकारी मिलती है।

समय पर सैलरी नहीं मिलती तब भी लोन खतरे में

इस तरह के विश£ेषण से ये भी पता लगाया जा सकता है कि किन लोगों को सैलरी समय से नहीं मिलती जैसे वकील, स्वतंत्र काम करने वाले और कंसल्टटेंट। ऐसे लोगों को लोन देने में ज्यादातर बैंक सावधानी बरतते हैं। सामा कहते हैं कि चाहे ऐसे लोगों के पास बैंक अकाउंट में अच्छा खासा पैसा जमा होता है लेकिन हो सकता है कि समय से तनख्वाह नहीं मिलने की वजह से इन्हे लोन ना मिले। इसलिए हम उनके मोबाइल यूसेज पैटर्न, जीपीएस लोकेशन और एसएमएस पर नजर रखते हैं। इसके अलावा हम उनके पैन डीटेल्स, आधार कार्ड डेटाबेस, जन्म की तारीख और उनके रजिस्टर्ड मोबाइल फोन नंबर को भी वेरिफाई कर सकते हैं।

कम समय में लोन दिलाने वाली कंपनियां करती हैं ज्यादा रिसर्च

केवल 1 से 7 दिन के अंदर लोन दिलाने वाली कंपनी अर्लीसैलरी.कॉम जीपीएस लोकेशन, फेसबुक और लिंक्डइन की जानकारियों पर नजर रखती है। इस कंपनी के को-फाउंडर अक्षय मेहरोत्रा ने बताया कि एक बार हमने दो बार के क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर का लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दिया। कुछ ही मिनट के भीतर उसकी गर्लफ्रेंड(जो कि फेसबुक से पता चला) ने उसी जीपीएस लोकेशन से लोन के लिए अप्लाय कर दिया। हमने यह भी देखा कि वह उस व्यक्ति के अकाउंट में समय समय पर अपने अकाउंट से पैसा ट्रांसफर किया करती थी। ऑनलाइन लोन देने वाली कंपनियां आजकल लोन के लिए अप्लाय करने वाले के फेसबुक फॉलोअर और लिंक्डइन कनेक्शन पर भी नजर बनाए रखती हैं। ग्राहकों की निजता के सवाल पर कैशकेयर के फाउंडर विकास शेखर ने बताया कि ओला, ऊबर, स्विगी और अन्य मोबाइल एप्प की तरह हम लोग भी मोबाइल डेटा ऐक्सेस करने से पहले ग्राहक की इजाजत लेते हैं। साथ ही हम ग्राहक के निजी मैसेज पर कभी नजर नहीं रखते। ग्राहकों की जानकारी कहीं पर भी स्टोर नहीं की जाती। इसे केवल जरूरत होने पर ही इस्तेमाल किया जाता है।
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