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जाकिर की संस्था 50 हजार रुपए देकर कराती थी धर्मांतरण

Published: Jul 26, 2016 09:06:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन में गेस्ट रिलेशन आफिसर अरशी कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद हुआ खुलासा

zakir naik

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मुंबई। विवादित इस्लामिक धर्म प्रचारक जाकिर नाइक की मुंबई स्थित संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। मुंबई पुलिस के मुताबिक आईआरएफ ने करीब 800 लोगों के धर्म परिवर्तन कराए हैं। यही नहीं एक व्यक्ति का धर्मांतरण कराने के लिए 50 हजार रुपए खर्च किए गए।

पुलिस ने कहा कि ये धर्मांतरण गैरकानूनी तरीके से कराए गए हैं। उन्होंने बताया कि यह खुलासा आईआरएफ में गेस्ट रिलेशन आफिसर अरशी कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद हुआ है। वह धर्म परिवर्तन कराने के काम में सीधे तौर पर शामिल है। इसमें उसका सहयोगी रिजवान खान है। उसे भी गिरफ्तार किया गया है।



जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा
मुंबई पुलिस की विशेष शाखा जाकिर के खिलाफ अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट में धर्मांतरण संबंधी इन खुलासों का भी उल्लेख करेगी। यह रिपोर्ट मुंबई पुलिस आयुक्त दत्तात्रय पडसलगिकर को सौंपी जाएगी। इससे पहले जाकिर के खिलाफ प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी गई है, जिसमें जाकिर के भाषणों में आपत्तिजनक अंश मिले थे, लेकिन उसके भाषणों में भड़काऊ या भारत विरोधी अंश नहीं थे, लेकिन धर्म परिवर्तन वाली रिपोर्ट शामिल होने से जाकिर की मुसीबतें बढ़ जाएगी।



अरशी की गिरफ्तारी से खुली पोल
केरल में धर्मांतरण के एक मामले में अरशी और उसके सहयोगी रिजवान की गिरफ्तारी की गई थी। पूछताछ में पता चला कि अरशी और रिजवान लोगों को पहले मानसिक रूप से तैयार करते थे और फिर उनका धर्मांतरण करवाते थे। रिजवान आईआरएफ के अलावा मझगांव स्थित एक और संस्था अल-बिर्र फाउंडेशन के लिए भी काम करता है, जहां धर्मांतरण और उसके बाद निकाह की तमाम गतिविधियों को अंतिम रूप दिया जाता है। अरशी के डोंगरी स्थित दफ्तर में सभी दस्तावेज तैयार किए जाते थे।

वाउचर के जरिए होता था भुगतान
रिजवान एक मौलवी भी है। इसलिए वह धर्मांतरण के लिए तैयार लोगों को निकाह भी पढ़ाया करता था। इन सारी प्रक्रियाओं को पूरी करने के बाद रिजवान प्रति व्यक्ति वाउचर बनाता था और अरशी उस वाउचर के हिसाब से आईआरएफ की ओर से रिजवान को भुगतान कराता था। आईआरएफ को सऊदी अरब सहित कई देशों से फंड मिलते हैं और उसी में से रिजवान को पैसे दिए जाते थे। प्रति वाउचर कम के कम 50 हजार रुपये का भुगतान होता था।

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