विश्व जल दिवस- शुद्ध जल के नाम पर चमक रहा कारोबार
Published: Mar 22, 2015 12:17:00 am
हालातों के देखते हुए कुछ लोगों ने पानी को बेचने का धंधा शुरू कर दिया
नई दिल्ली। आज भारत के सामने पानी की आपूर्ती एक बड़ा संकट बन गई है। जिससे सरकार और जनता सब परेशान हैं, लेकिन इसकी समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा, कहीं लोग पानी बर्बादी लगातार कर रहे हैं, तो कहीं लोगों को कायदे पीने का स्वच्छ पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। तमाम तरह की चेतावनी और जागरूकता अभियान के बावजूद कोई यह समझने को तैयार नहीं है कि विश्व में जल संकट एक बड़ा विकराल रूप लेता जा रहा है। कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध जल की भारी कमी की वजह से लड़ा जाएगा। जल की हो रही बर्बादी और उसके संचय के लिए पर्याप्त योजना न होना इसकी मुख्य वजह मानी जा रही है। ऎसे हालातों के देखते हुए कुछ लोगों ने पानी को बेचने का धंधा शुरू कर दिया। कई देशी-विदेशी कंपनियां बोतल बंद पानी बेंच कर मोटी कमाई कर रही हैं।
जल संकट की आड़ में कई कारोबारों में बहुत ज्यादा चमक आई है। पानी के संकट ने पानी के कारोबार का काफी बढ़ा दिया है। जब सरकारी स्तर पर यह बात आने लगी कि पीने का साफ पानी नहीं मिल सकता है तो पानी के कारोबारियों के मन के हिसाब से माहौल बन गया। इसका नतीजा यह हुआ कि पानी से संबंधित कारोबारों में उफान आने लगा। इनमें सबसे ज्यादा कारोबार बढ़ा पानी शुद्ध करने का दावा करने वाली मशीन बनाने वाली कंपनियों का और बोतलबंद पानी का। इन दोनों का कारोबार आज अरबों में पहुंच गया है और दिनोंदिन इसमें बढ़ोतरी हो रही है।
शुद्ध पानी देने के नाम पर शुरू हुआ कारोबार-
तेजी से बढ़ते जल प्रदूषण को पानी के कारोबारियों ने हथियार की तरह इस्तेमाल किया। इसी हथियार के बूते लोगों के मन में यह भय बैठाया गया कि जो पानी नल से आ रहा है, वह पीने लायक नहीं है। इसलिए अगर स्वस्थ्य रहना हो तो बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करो। जिनकी आर्थिक हैसियत बोतलबंद पानी के लायक नहीं थी उनके लिए पानी को शुद्ध करने का दावा करने वाली मशीने आ गईं। इन मशीनों के प्रति संस्थाओं का भी आकर्षण बढ़ाया गया। भूमंडलीकरण के बाद तो सत्ता व्यवस्था हमेशा से ही इस ताक में रही है कि कब उसे किसी जिम्मेवारी से मुक्ति मिले। पानी के मामले में भी यही हुआ।
सरकार ने मान लिया कि वह देश के सभी नागरिक को पीने का साफ पानी मुहैया नहीं करा सकती है।
सरकार ने शुरू किया बोतल बंद पानी का कारोबार-
खुद सरकार पानी के धंधे में उतर गई। भारतीय रेल ने रेल नीर के नाम से खुद का बोतलबंद पानी बाजार में उतार दिया। जिस भारतीय रेल को सभी स्टेशनों और रेलगाडियों में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाना चाहिए था वह भारतीय रेल पीने का पानी बोतल में बंद करके बेचना लगा। जब भारतीय रेल ने बोतलबंद पानी बेचना शुरू कर दिया उसी वक्त इस बात पर मुहर लग गई कि सरकार की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। यह बात साफ हो गई कि सरकार भारतीय रेल को एक कंपनी मानती है और रेल नीर उसका एक उत्पाद है जिसके जरिए सरकार ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाती है।
जब लोगों को यह लग गया कि सरकार या व्यवस्था तो साफ पानी की आपूर्ति कर ही नहीं सकती तो लोगों ने अपने-अपने स्तर पर साफ पानी के लिए बंदोबस्त करना शुरू किया। इसी वजह से पानी शुद्ध करने का दावा करने वाली मशीनों का कारोबार काफी तेजी से बढ़ा। इन मशीनों के कारोबार में काफी तेजी आई। यही वजह है कि इन मशीनों के बाजार का आकार भी काफी बढ़ गया है। इसमें सही आंकड़े को लेकर एजंसियों में मतभेद है। एक एजंसी का दावा है कि अभी इनका कारोबार तकरीबन हजार करोड़ रूपए का है तो दूसरी एजेंसी कहती है कि इन मशीनों के कारोबार का आकार करोड़ो रूपए का है। इतना तो तय है कि ये कारोबार अरबों रू पए का है और इसमें काफी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। भारत में इस कारोबार की बड़े नाम केंट, यूरेका फोर्बिस, उषा ब्रिटा और आयन एक्सचेंज हैं।