वियनतियन। चीन तथा दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के संगठन आसियान के सदस्यों ने दक्षिण चीन सागर विवाद को और अधिक जटिल होने से बचाने के लिए इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को नियंत्रित करने और संयम बरतने पर सहमति व्यक्त की।
लाओस की राजधानी वियेनतियन में हुई अपनी बैठक में आसियान के देशों ने बैठक के बाद जारी किए गऐ अपने वक्तव्य में चीन तथा फिलीपीन्स के विवाद पर हेग के अन्तरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के निर्णय का उल्लेख नहीं किया। वक्तव्य में फैसले के उल्लेख का विरोध कम्बोडिया ने किया और उसके विरोध के बाद ही आम सहमित बनाने के लिए फैसले के उल्लेख को टाल दिया गया।
इसके बाद ही सदस्य देशों के बीच दक्षिण चीन सागर में संयम बरतने पर सहमति व्यक्त की गयी। आसियान देश अपने निर्णय के अनुसार दक्षिण चीन सागर के द्वीपों, रीफों तथा कृत्रिम दीपों पर जहां आबादी नहीं है आबादी बसाने का प्रयास नहीं करेंगे। वार्ता केa बाद जारी संयुक्त बयान में आसियान के विदेश मंत्रियों ने सिर्फ इतना कहा कि वे दक्षिण चीन सागर में हालिया और जारी घटनाक्रम पर गंभीर रूप से चिंतित बने हैं। बयान में घटनाक्रम को लेकर चीन का नाम नहीं लिया गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें फिलीपीन और चीन के बीच एक विवाद में एक अंतरराष्ट्रीय पंचाट के हालिया फैसले का जिक्र तक नहीं किया गया।
क्यों है इस क्षेत्र को लेकर विवादचीन दक्षिण चीन सागर में 12
समुद्री मील इलाके पर हक जताता है। इस इलाके को 12 नॉटिकल मील टेरिटोरियल
लिमिट कहते हैं। ये इलाका दक्षिण चीन सागर में बने आर्टिफिशियल आईसलैंड के
आसपास का ही है। चीन के अलावा दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देश (ताइवान,
फिलीपींस, वियतनाम और मलेशिया) भी इस इलाके पर अपना दावा जताते हैं। पिछले
महीने बराक ओबामा के साथ मीटिंग में शी जिनपिंग ने कहा था कि वे इस इलाके
में मिलिट्री तैनात नहीं करना चाहते। हालांकि, अमरीका को लगता है कि चीन
यहां मिलिट्री एक्टिविटीज बढ़ा रहा है। इसलिए वह इस इलाके में आवाजाही कर
रहा है।
विवाद की वजहसाउथ चाइना सी में तेल और गैस के कई
बड़े भंडार दबे हुए हैं। अमरीका के मुताबिक, इस इलाके में 213 अरब बैरल
तेल और 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नेचुरल गैस का भंडार है। इस समुद्री
रास्ते से हर साल 7 ट्रिलियन डॉलर का बिजनेस होता है। चीन ने 2013 के आखिर
में एक बड़ा प्रोजेक्ट चलाकर पानी में डूबे रीफ एरिया को आर्टिफिशियल
आईसलैंड में बदल दिया था।