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दिनभर पत्थर तोड़कर छोटी बहन के भूखे पेट को भरता है ये भाई, भाई-बहन की ये भावुक कहानी आपकी आंखों में आंसू ले आएगी!

कचरे का ढेर, ढेर पर बच्‍चे, पत्थर तोड़ते मासूम हाथ, जूठन बीनते, इन बच्चों में अक्सर हम भारत का भविष्य देखते हैं। कुछ ऐसी ही एक सच्ची कहानी से आज हम आपको अवगत करा रहे हैं…

Jul 24, 2017 / 12:55 pm

राहुल

Heart Touching Story The Love of a Brother, brothe

Heart Touching Story The Love of a Brother, brother says after my sister birth I am taking care of her

हमारे पास ले दे कर गरीबों की कहानी है, 

सुनाने को सुना सकता हूँ नग्में शहंशाहों के
मगर उनकी तो सब गाते हैं जिनकी हुक्मरानी है!

कहने को तो ये सिर्फ मासूम गाजियाबादी नाम के कविताकार की कहीं 4 लाइनें ही हैं लेकिन इनमें गरीबों की गरीबी का वो रहस्य छिपा हुआ है जो हमें किताबों में पढ़ने को नहीं मिलता। कचरे का ढेर, ढेर पर बच्‍चे, पत्थर तोड़ते मासूम हाथ, जूठन बीनते, नज़रें चुरा निगलते, इन बच्चों में अक्सर हम भारत का भविष्य देखते हैं। कुछ ऐसी ही एक सच्ची कहानी से आज हम आपको अवगत करा रहे हैं। ये कहानी है बांग्लादेश के रहने वाले 11 साल के राहत की। जो पूरे दिन पत्थर तोड़ कर अपनी बहन का पेट भरता है।
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राहत की इस मार्मिक कहानी को GMB Akash ने फेसबुक वॉल पर शेयर किया है। आकाश ने राहत के हवाले से लिखा है-

पत्थर तोड़ने का दर्द क्या होता है वो इस राहत नाम के मासूम से बेहतर और कौन जान सकता है! लेकिन फिर भी कभी मां को आंसू नहीं दिखाए। पूरा दिन काम करने के बाद जब हाथों में छाले पड़ जाते हैं तब शाम को घर पहुंच उसका मरहम बनती है उसकी छोटी बहन की मासूम सी शरारतें।

कुछ दिन पहले तक 11साल का राहत अपनी मां के साथ पत्थर तोड़ता था। लेकिन एक दिन उसकी मां अचानक बीमार पड़ गई और अब वो पत्थर तोड़ने जैसी मेहनत नहीं कर सकती। मां के बीमार रहने के बाद से राहत ने अकेले ही अपने परिवार का पेट भरने की जिम्मेदारी उठा ली है। 
राहत बताता है कि जब पहली बार उसने मां के साथ जाकर पत्थर तोड़े, उस दिन उसके हाथ में बहुत दर्द हुआ। लेकिन उसने अपनी मां को नहीं बताया। तब उसे यह भी अंदाजा हुआ कि उसकी मां को पत्थर तोड़ने में कितनी तकलीफ होती होगी। राहत अगर दिनभर में 100 पत्थर तोड़ता है तब उसे 50टका (बांग्लादेशी मुद्रा) मिलते हैं। जिससे वो अपनी भूख ना मिटाकर अपनी बहन के लिए केला और अंड़ा खरीदता है। राहत कहता है कि वो अपनी बहन के बड़ी होने पर उसे खूब पढ़ाएगा। उसे ऐसा कोई काम करने नहीं देगा जिससे उसे कभी दर्द हो। 

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