scriptअफगानिस्तानी संसद में हिंदुओं और सिखों के लिए आरक्षित हुई सीट | hindu and sikh get reservation in afghani parliament | Patrika News

अफगानिस्तानी संसद में हिंदुओं और सिखों के लिए आरक्षित हुई सीट

Published: Sep 25, 2016 12:38:00 pm

Submitted by:

अफगानिस्तान में  हिंदू और सिखों के लिए संसद वोलेसी जिरगा में आरक्षण देने की घोषणा की है। 

sikh in afganistan

sikh in afganistan

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में अब गिने-चुने रह गए हिंदू और सिखों के लिए एक राहत भरी खबर है। अफगान की सरकार ने इन दो अल्पसंख्यकों जातियों के लिए संसद वोलेसी जिरगा में आरक्षण देने की घोषणा की है। अफगानी संसद में आरक्षण प्राप्त करने के लिए हिंदू और सिख पिछले दो सालों से गुहार लगा रहे थे। मगर अभी इस फैसले को लेकर जश्र मनाना जल्दबाजी होगी।

कई सालों से आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं हिंदू और सिख

अफगानी संसद में हिंदू और सिखों के लिए सीट आरक्षित करना पहला कदम है। मगर अशरफ गनी की सरकार में हिंदू और सिख नेताओं को सीट दिलवाने के लिए अभी बहुत मेहनत करनी होगी। बता दें कि तीन साल पहले अफगानी संसद में आरक्षण पाने के लिए बचे हुए सिख और हिंदू समुदाय के लोगों ने देश छोडऩे की धमकी दी थी। मगर फिर भी अफगान संसद में हामिद करजई की सरकार ने बहुमत के साथ आरक्षण की इस मांग को ठुकरा दिया। आरक्षण के खिलाफ लोगों ने तर्क दिया कि अफगान संविधान अपने नागरिकों के बीच किसी भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।
तालिबान के हमले से पहले हिंदू और सिख होते थे प्रभावशाली

अफगानिस्तान में हिंदू और सिख लोग सैकडों सालों से रह रहे हैं मगर पिछले तीन दशक में इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। अफगानिस्तान पर तालिबान के अतिक्रमण से पहले यहां हिंदू और सिख प्रभावशाली हुआ करते थे। ये लोग अफगानिस्तान में बिजनेस और अच्छी दुकाने रखा करते थे। हिंदू और सिख समाज के लोग 19वीं सदी से पहले सेना और पुलिस में भी दाखिल हुए।

तीन दशकों में 99 प्रतिशत हिंदू और सिख अफगान से निकल गए

अफगानिस्तान के एक प्रसिद्ध न्यूज चैनल की जांच में खुलासा हुआ कि पिछले तीन दशकों में 99 प्रतिशत हिंदू और सिख पलायन कर गए। 1980 तक यहां पर हिंदू और सिखों की संख्या 220,000 थी। तालिबान के अतिक्रमण के बाद 1990 में ये संख्या 15,000 रह गई। इस समय अफगानिस्तान में हिंदू और सिखों की संख्या 1350 है। अब इतनी कम संख्या की वजह से हिंदू और सिखों के लिए यहां आरक्षण प्राप्त करना जरूरी हो गया था। अल्पसंख्यकों की आवाज संसद तक पहुंचे इसके लिए ये कदम महत्वपूर्ण था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो