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“भारत, मध्य एशिया की इस्लामी विरासत ने चरमपंथ को नकारा”

अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि मध्य एशिया के साथ भारत के
संबंधों में भरोसा और क्षमता की कमी है

Jul 08, 2015 / 09:15 am

जमील खान

Narendra Modi

Narendra Modi

अस्ताना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मध्य एशिया एवं भारतीय उपमहाद्वीप में शांति कायम रखने तथा आतंकवाद और अतिवाद से निपटने के लिए भारत और मध्य एशिया के बीच की साझा इस्लामिक विरासत का हवाला दिया और घनिष्ठ सुरक्षा और रक्षा सहयोग का आह्वान किया।

कजाकिस्तान की राजधानी स्थित नजरबायेव विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि मध्य एशिया के साथ भारत के संबंधों में भरोसा और क्षमता की कमी है। उन्होंने कहा कि वह इसे घनिष्ठ संबंधों में बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। आतंकवाद और अतिवाद के विस्तार पर उन्होंने कहा, हम अस्थिरता की सीमा में रहते हैं। हम आतंकवाद और अतिवाद की धार पर खड़े हैं।

भारत और मध्य एशिया के बीच साझा इस्लामिक विरासत पर मोदी ने कहा, भारत और मध्या एशिया के बीच साझा इस्लामिक विरासतें इस्लाम की सर्वोच्च शिक्षा, धर्मपरायणता, संवेदना और कल्याण को परिभाषित करने वाली हैं। यह विरासतें प्रेम और समर्पण के सिद्धांतों पर खड़ी हुई हैं तथा इसने हमेशा से अतिवादी बलों को नकारा है।

मोदी ने दोनों उपमहाद्वीपों को जोड़ने वाली बॉलीवुडिया फिल्मों, सूफी संगीत, योग और हिंदी के संदर्भ में कहा, यह दिलों और भावनाओं के संबंधों का आधार है और इसे कारोबार तथा देश की मांगों के आधार पर नहीं मापा जा सकता।

उन्होंने कहा, हम देखते हैं कि आतंकवाद राष्ट्रों और समूहों द्वारा पैदा किया जा रहा है। आज के समय में हम देखते हैं कि इंटरनेट बिना किसी सीमाओं के आतंककारियों के लिए अपने इरादों को अंजाम देने के उद्देश्य से लड़ाकों को भर्ती करने का प्लेटफॉर्म बन गया है।

उन्होंने कहा, संघर्ष से जूझ रहे इलाकों से लेकर परस्पर मित्रतापूर्ण संबंध वाले शहरों तक आतंकवाद वैश्विक चुनौती बन चुका है। मोदी ने कहा कि भारत और मध्य एशिया अपनी मूल्यों की ताकत और मानवता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के द्वारा आतंकवाद का सामना करेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत, विश्व और मध्य एशिया के लिए संभावनाओं की नई सीमा है। इसीलिए, मैं मध्य एशिया के साथ अपने रिश्ते के नए युग की शुरूआत करने के लिए यहां पर हूं। समृद्धि की नई साझेदारी में भारत और अधिक निवेश के लिए तैयार है।

मोदी ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन में भारत की सदस्यता से क्षेत्रीय साझेदारी में मजबूती आएगी। हमने मुक्त व्यापार समझौते पर शोध शुरू किया है और इसमें व्यापार, परिवहन और ऊर्जा के लिए भौतिक संयोजकता बढ़ाने की भी बात होगी।

उन्होंने उम्मीद जताई कि मध्य एशिया के सभी देश अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के सदस्य बनेंगे और कहा कि भारत व्यापार और परिवहन पर अश्गाबात समझौते से जुड़ने के लिए उत्सुक है।

मोदी ने कहा, क्षेत्र स्थिर, शांत, संघर्ष और आतंकवाद और अतिवाद से मुक्त रहना चाहिए। 21वीं सदी का सिल्क रूट बनाने के लिए हम सभी एक साथ काम करेंगे। हम भूमि, जल, वायु, इंटरनेट, हर माध्यम से संबंध स्थापित करेंगे।

इसके बाद मोदी ने इंजिया-कजाकिस्तान सेंटर ऑफ एक्सीलेंट इन इंफोर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का उद्घाटन किया। इससे पहले मोदी ने कजाकिस्तान के प्रधानमंत्री करीम मसीमोव के साथ वार्ता की। अपनी मध्य एशिया की यात्रा के दूसरे पड़ाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को उज्बेकिस्तान से कजाकिस्तान पहुंचे।

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