शुक्रवार देर रात यहां स्टेट मीडिया ने इस बयान की जानकारी दी, जो कि नॉर्थ कोरिया के पुराने प्रस्तावों का ही दोहराव है। इन प्रस्तावों को अमरीका पहले ही ठुकरा चुका है इस शर्त के साथ कि प्योंगयांग को एटमिक गतिविधियां पूरी तरह बंद करनी होंगी, लेकिन नॉर्थ कोरिया इसके लिए कभी तैयार नहीं हुआ। उधर अमरीका, साउथ कोरिया सहित कई पश्चिमी देशों का मानना है कि प्योंगयांग का ये कदम उनके लिए खतरा है। इसलिए बीते एक दशक मे प्योंगयांग पर प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी। बावजूद इसके नॉर्थ कोरिया ने अपने हितों का हवाला देते हुए परमाणु कार्यक्रम जारी रखे। 2006 व 2012 में अमरीकी सैटेलाइट़्स ने नॉर्थ कोरियाई रॉकेट परीक्षणों की तस्वीरें जारी की थीं।
न्यायसंगत था हमारा बम टेस्ट: प्योंगयांग
नॉर्थ कोरिया की फॉरेन मिनिस्ट्री से जुड़े एक स्पीकर ने 6 जनवरी को किए कथित हीलियम बम टेस्ट को सही ठहरात हुए कहा कि यह देश के बचाव करने और ताकत का अहसास कराने के लिए किया गया। प्रवक्त ा ने कहा कि यह बाहरी खतरों खासकर पश्चिमी देशों से निपटने के लिए आवश्यक कदम था। आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने फॉरेन मिनिस्ट्री के बयान को जारी करते हुए साउथ कोरिया के दुष्प्रचार किए जाने को बेहद निंदनीय बताया। गौरतलब है कि तनावपूर्ण सीमा पर साउथ कोरिया ने प्योंगयांग के खिलाफ लाउडस्पीकर से दुष्प्रचार शुरू करने का निर्णय लिया था।
पहले अमरीका-साउथ कोरिया हटें पीछे
परमाणु कार्यक्रमों को रोकने के एवज में नॉर्थ कोरिया ने कहा कि पहले यूएस और उसके सहयोगी साउथ कोरिया को सैन्य उपकरण देने व युद्धाभ्यास करने से बाज आएं। वो लगातार हमारी संप्रभुता को नुकसान पहुंचा रहे हैं और साउथ कोरिया से उकसावे की धमकियां मिल रही हैं। यदि नॉर्थ कोरिया के खिलाफ कार्रवाई का प्लान बना तो जवाब में हम मिलिट्री एक्शन और एटमिक अटैक करने से पीछे नहीं हटेंगे।
झेलने होंगे और प्रतिबंध: अमरीका
वहीं नॉर्थ कोरिया के टेस्ट के बाद अमरीका ने यूएन के हवाले से और प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी। हाल ही यूएन ने दुनिया में बढ़ रही एटमिक गतिविधियों पर चिंता जताई, लेकिन नॉर्थ कोरिया ने इसे न्यायसंगत से बताया। वहीं दक्षिण कोरिया ने शुक्रवार को चीन द्वारा यूएन में नॉर्थ कोरिया पर समझौते की बात कही।