scriptनेपालः दुनिया के सबसे बड़े पशु संहार मेले में अब बलि नहीं | Now, no animal would be slaughtered in Gadhimai festival | Patrika News

नेपालः दुनिया के सबसे बड़े पशु संहार मेले में अब बलि नहीं

Published: Jul 29, 2015 11:03:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

नेपाल गढ़िमाई मंदिर ट्रस्ट ने ऎतिहासिक और हिम्मतभरा कदम उठाते हुए उत्सव में होने वाली पशु बलि पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया

Animal sacrifice banned in Nepal festival

Animal sacrifice banned in Nepal festival

काठमांडू। जानवरों को बलि से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे लाखों पशु प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। नेपाल में हर पांच साल में गढिमाई पर्व में होने वाला पशु संहार अब से नहीं होगा। नेपाल गढ़िमाई मंदिर ट्रस्ट ने मंगलवार को ऎतिहासिक और हिम्मतभरा कदम उठाते हुए उत्सव में होने वाली पशु बलि पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया।



दुनियाभर में इस वृहद पशु बलि उत्सव के खिलाफ उठी आवाज को सुनते हुए ट्रस्ट अपनी 300 साल पुरानी परंपरा बदलने को तैयार हो गया। ट्रस्ट के चेयरमैन रामचंद्र शाह ने बताया कि 2019 में होने वाला गढिमाई पर्व किसी भी पशु की बलि नहीं दी जाएगी। शाह के मुताबिक संक्रांति पर होने वाले फसल उत्सव पर भी इस साल से किसी पशु की बलि नहीं दी जाएगी।



ऎसा है गढ़िमाई पर्व
काठमांडू से 160 किमी दूर दक्षिण में यानी बिहार से सटी सीमा पर स्थित बारा जिले के बरियारपुर में गढिमाई देवी का मंदिर है। मधेशी लोग इनकी आराधारा शक्ति की देवी के रूप में करते हैं और इनमें ऎसी मान्यता है कि पशुओं की बलि देने से देवी प्रसन्न होती हैं। हर बार लाखों बलि दी जाती है।




भारत से भी हर साल इस उत्सव के लिए सैकड़ों पशु नेपाल ले जाए जाते थे, पर पीपुल फॉर एनीमल संस्थान की ट्रस्टी गौरी मुलेखी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। तब शीर्ष अदालत ने राज्यों को आदेश दिया कि वे अपने राज्य के पशुओं को नेपाल ले जाने से रोकने के प्रबंध करें। इसका असर भी हुआ।

इसलिए हुआ विरोध

2009 में हुए गढिमाई पर्व में करीब पांच लाख, तो 2014 के उत्सव में 4.7 लाख भैंसों, बछड़ों, सुअरों और गौवंश की बलि चढ़ाई गई थी। इस भीषण पशु वध के खिलाफ पशु कल्याण तंत्र नेपाल और ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल-इंडिया ने काफी संघर्ष किया।
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