इटली के लिए ब्रेक्सिट जैसे हालत बन सकते हैं। यूरोपीय यूनियन से अलग होने पर यूनियन पड़ेगा कमजोर।
रोम. इटली में रविवार को जनमत संग्रह होगा। जनता तय करेगी कि क्या संविधान में संशोधन होना चाहिए या नहीं? हां या न में वोट पड़ेंगे। प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी संशोधन चाहते हैं। अगर जनता ने प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी के जनमत संग्रह कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया तो उनके हाथ से पीएम का पद जा सकता है।
दरअसल, पीएम ने जनमत संग्रह में हारने की स्थिति में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का वादा किया है। उधर, विपक्षी पार्टियां जनमत संग्रह नहीं चाहतीं। वे न के पक्ष में खड़ी हैं। विपक्षी पार्टियां यूरोपीय यूनियन से अलग होने को लेकर वोट कराना चाहती हैं। अगल वोटिंग में लोगों ने संशोधन को न कहा तो ब्रेक्सिट जैसे हालत भी बन सकते हैं। इटली के पीएम की ब्रिटेन के पूर्व पीएम डेविड कैमरन जैसी स्थिति हो सकती है। संवैधानिक सुधार के मुद्दे पर हो रहे इस जनमत संग्रह का कई लोग विरोध भी कर रहे हैं।
अभिनेत्री ने खिलाफ में अपील की
इटली की मशहूर अभिनेत्री पाओला सॉलिनो भी इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ खड़ी हुई हैं। उन्होंने तो जनमत-संग्रह में ‘नाÓ का समर्थन करने वालों के लिए सेक्स एक्ट परफॉर्म करने का ऑफर दे डाला है। इस मसले पर एक्ट्रेस पाओला का कहना है कि देश में सब कुछ ठीक चल रहा है। ऐसे में संविधान में बदलाव लाने की जरूरत ही क्यों पड़ रही है।
अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा
अगले हफ्ते बाजार की चाल पर रविवार को इटली में होने वाले जनमत संग्रह का असर पड़ सकता है। फैसले से बाजार में अस्थिरता देखने को मिल सकती है। यदि इटली के प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा तो वैश्विक बाजार पर इसका नकारात्मक रुझान देखने को मिलेगा। जानकारों का मानना है रेजी के प्रस्ताव खारिज हुए तो यूरोप में आर्थिक दिक्कतें बढ़ेंगी। इस प्रक्रिया के बाद यदि इटली यूरोपीय यूनियन से बाहर होता है तो यूनियन कमजोर हो जाएगी। इसका असर यूरोप के कई प्रोजेक्ट पर पड़ेगा। इटली की स्थिति ग्रीक की अर्थव्यवस्था जैसी हो सकती है।
क्या है प्रस्ताव
-जनमत संग्रह में जीत के बाद रेंजी को ऊपरी सदन के सांसदो की भूमिका सीमित करने का अधिकार मिलेगा
– सीनेटर्स की संख्या 315 से 100 करने का पीएम का प्रस्ताव
– पीएम का कहना, इसे राजनीतिक पार्टियों के खर्चों में कमी आएगी
– विरोधियों का कहना, संशोधन से पीएम की ताकत बढ़ेगी
– पीएम का कहना, कानून बनाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी
– क्षेत्रीय अधिकारियों से शक्तियां वापस लेने के प्रयासों में सफलता मिलेगी
– 5.1 करोड़ नागरिक भाग लेंगे।