scriptवैज्ञानिकों ने गलती से कार्बन डाइऑक्साइड से फ्यूल बना डाला | Scientists claim accidentally created ethanol which can be used with current vehicles | Patrika News

वैज्ञानिकों ने गलती से कार्बन डाइऑक्साइड से फ्यूल बना डाला

Published: Oct 20, 2016 03:04:00 pm

अमरीकी वैज्ञानिकों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की। 

CO2 FUEL

CO2 FUEL

वॉशिंगटन. क्या कार्बन डाइऑक्साइड को वाहन के फ्यूल में बदला जा सकता है? इस सवाल का जवाब अमरीकी वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है। इन वैज्ञानिकों ने गलती से सीओ-2 यानी कार्बन डाइऑक्साइड से इथेनॉल बना डाला है। खास बात यह है कि इसका प्रयोग फ्यूल के तौैर पर वाहनों में किया जा सकता है।

तांबा अहम तत्व

इस फ्यूल को इस्तेमाल करने के लिए मौजूदा वाहनों में किसी भी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं होगी। ओक रिज नेशनल लेबोरेट्री के वैज्ञानिकों के अनुसार, सीओ-2 में कार्बन और तांबे के अत्यंत छोटे स्पाइक्स (कण) मिलाने पर एक खास किस्म का इथेनॉल बन सकता है। एल्कोहल व सफाई करने वाले सेनिस्टर में जो तत्व होते हैं यह कुछ-कुछ इसी तरह बनता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस इथेनॉल को फ्यूल के तौर पर प्रयोग में लाया जा सकता है। बता दें कि ब्राजील में जो ईंधन इस्तेमाल किया जाता है उसमें 25 फीसदी इथेनॉल होता है।

‘सोचा था मुश्किल होगी विधि’

 वैज्ञानिकों ने बयान जारी कर बताया कि हम लंबे से एक शोध कर रहे थे। उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) में कुछ हरकत पैदा हुई। अचानक से इथेनॉल बनता दिखा। वैज्ञानिकों का कहना है कि शोध के दौरान कभी भी नहीं सोचा था कि सीओ-2 से इथेनॉल बनाना इतना आसान होगा। हमें लगा था कि यह मुश्किल विधि हो सकती है। कैमिकल रिएक्शन के कई चरणों से गुजरना पड़ा सकता है मगर जब अचानक से इथेनॉल बनता दिखा तो हैरानी हुई। यह आसानी से बन गया। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में तांबा अहम तत्व है। उन्होंने कहा कि अगर यह प्रक्रिया सभी को आसानी से मिल जाए तो फ्यूल की दिक्कतेें दूर हो सकती हैं।

पहले भी दावा किया जा चुका

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ऐसा सोलर सेल बनाने का दावा किया था जो कार्बन डाइऑक्साइड को हाइड्रोकार्बन ईंधन में परिवर्तित करने में सक्षम है। इलिनॉय यूनिवर्सिटी, शिकागो के शोधकर्ता आमीन सालेही खोजिन के अनुसार, सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल करते हुए वातावरण में मौजूद कार्बन को रिसाइकल कर उसे ईंधन में परिवर्तित किया जाएगा। पौधे जहां शुगर के तौर पर ईंधन पैदा करते हैं, वहीं कृत्रिम पत्तियां सिनगैस (सिंथेसिस गैस) का उत्पादन करेंगी। हाइड्रोजन और कार्बन मोनोक्साइड के मिश्रण को सिनगैस कहते हैं। इसका सीधे या फिर डीजल या अन्य हाइड्रोकार्बन ईंधन के तौर पर इस्तेमाल संभव है। शोधकर्ताओं ने बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड को ईंधन बनाने में एक गैलन गैसोलीन के उत्पादन के बराबर खर्चा आएगा। 
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो