तालिबान ने की पुष्टि, हक्कानी नेटवर्क के चीफ जलालुद्दीन की मौत
Published: Aug 01, 2015 07:59:00 am
जलालुद्दीन की लंबी बीमारी के चलते एक साल पहले ही 70 वर्ष की उम्र में हुई मौत, काबुल में भारतीय दूतावास पर हमले में शामिल था आतंकवादी संगठन हक्कानी
इस्लामाबाद। अफगानिस्तान के काबुल में भारतीय दूतावास पर हमले में शामिल कुख्यात आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क के सरगना जलालुद्दीन हक्कानी की एक साल पहले ही मौत हो चुकी है। तालिबान सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि जलालुद्दीन की लंबी बीमारी के चलते एक साल पहले ही 70 वर्ष की उम्र में मौत हो गई थी और उसे अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में दफनाया गया था।
हालांकि जलालुद्दीन के परिजनों ने इस बात पर असहमति जताते हुए कहा कि वह बीमारी से जरूर जूझ रहा था, लेकिन वह अभी भी जीवित है। गौरतलब है कि जलालुद्दीन अफगान तालिबान के नए सरगना मुल्ला अख्तर मंसूर के नये उपप्रमुख बनाए गए सिराजुद्दीन हक्कानी का पिता है और वह जिहादी हलकों में तब चर्चा में आया जब उसने 1980 के दशक में सोवियत बलों के खिलाफ सफल अभियानों को अंजाम दिया था। अमरीकी ने उस पर एक करोड़ डालर का ईनाम रखा था। हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में तालिबान के बाद सबसे खतरनाक संगठन माना जाता है।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा के दोनों ओर का कबायली क्षेत्र मौलवी जलालुद्दीन हक्कानी नेटवर्क का गढ़ माना जाता है। कई मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, इसके पास 12000 प्रशिक्षित लड़ाके का समूह है। यह छापामार विद्रोही ग्रुप है और तालिबान का प्रमुख सहयोगी है। नेटवर्क की शुरूआत 1980 में अफगान वॉर में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने से हुई थी। सोवियत संघ के खिलाफ लड़ते हुए इस आतंकी समूह को अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए का समर्थन प्राप्त था।