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छात्र ने फंदा लगाकर दी जान : मुझे हिस्ट्री-ड्राइंग में इन्ट्रेस्ट था, लेकिन इंजीनियरिंग में एडमिशन कराया था

locationजयपुरPublished: Oct 29, 2015 12:52:00 am

Submitted by:

shailendra tiwari

कुछ ऐसे अपना दर्द कागज के पन्नों पर लिख कर वह दुनिया से चला गया। पता
बुधवार सुबह तब लगा जब उसके दादा लखमाराम पहुंचे। भीलवाड़ा की जहाजपुर
तहसील के चांदाडंड निवासी विकास मीणा (17) पुत्र खेमराज ने मंगलवार रात
तलवंडी स्थित हॉस्टल के कमरे में फंदा लगा लिया।

मैं घर पर रहना चाहता हूं लेकिन परिवार वाले मुझे दूर रखना चाहते हैं। मैं अपने पापा से बहुत प्यार करता हूं। मैंने जो कुछ भी किया फ्यूचर में सोच रखा था, जो पापा ने सोचा रखा वह मैं नहीं कर पाया। मेरे मरने पर मीडिया प्लीज मुझे कोई टॉपिक नहीं बनाना। जो स्टूडेंट जिन्हें छोटी या बड़ी प्रॉब्लम हो घर वालों को बताना। मैंने कोई गलत फैसला नहीं लिया है। मुझे हिस्ट्री और ड्राइंग में इन्टरेस्ट था, लेकिन इंजीनियरिंग में एडमिशन कराया था, जिस फील्ड में मुझे जाना था वहां नहीं जा पाया। मैंने पूरी जिंदगी में एक अच्छा दिना देखा वो मेरा बर्थ डे था। मेरे दोस्तों अपने मम्मी-पापा का दिल नहीं दुखाना। उन्हें कभी परेशान मत करना। क्योंकि जिनकी मां नहीं होती है, उनकी बहुत बुरी जिंदगी होती है। अगर मम्मी आपको थप्पड़ मारती है तो आपसे बहुत प्यार करती है। मेरे मरने के बाद कोई रोना मत…

कुछ ऐसे अपना दर्द कागज के पन्नों पर लिख कर वह दुनिया से चला गया। पता बुधवार सुबह तब लगा जब उसके दादा लखमाराम पहुंचे। भीलवाड़ा की जहाजपुर तहसील के चांदाडंड निवासी विकास मीणा (17) पुत्र खेमराज ने मंगलवार रात तलवंडी स्थित हॉस्टल के कमरे में फंदा लगा लिया।

पुलिस को सुसाइडल नोट मिला जिसमें उसने लिखा है कि उसके मरने के बाद कोई आंसू नहीं बहाएगा। वरना वह भूत बनकर सबको डराने आएगा। पुलिस सूत्रों ने बताया कि विकास पढऩे में औसत स्टूडेंट था। वह इस बात से भी परेशान था कि उसके घर वाले उससे सिर्फ पढ़ाई की बात करते हैं।

जवाहर नगर थानाधिकारी राजेश मेश्राम ने बताया, विकास दो साल से हॉस्टल में रहता था। वह दसवीं के साथ इंजीनियरिग की कोचिंग कर रहा था। बुधवार सुबह दादा हॉस्टल आए तो कमरा अंदर से बंद था, खिड़की से देखा तो वह फंदे पर लटका था। उन्होंने होस्टल वार्डन भूपेंद्र हाड़ा व पुलिस को सूचना दी। इसके बाद उसे उतारा और एमबीएस अस्पताल ले गए जहां जांच के बाद डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।

पूरा परिवार फौज में
विकास के पिता खेमराज फौज में हैं और मणिपुर में तैनात हैं। ताऊ भी फौज में हैं जबकि दादा सेवानिवृत्त सूबेदार हैं। लखमाराम ने बताया, विकास की देखभाल मैं ही करता था। उससे फोन पर बात होती थी। दो दिन पहले बात हुई लेकिन इसके बाद फोन नहीं उठा। इसलिए मैं मिलने आया था लेकिन पहुंचा तो वह जा चुका था। पांच बहन-भाइयों में विकास तीसरे नम्बर का था।

स्कूल नहीं जा रहा था
दादा ने बताया, विकास कुछ समय पहले बीमार हुआ था। उसका जयपुर में इलाज भी चला। इसके बाद वह घर गया ठीक होने के बाद वापस आ गया। वह काफी समय से स्कूल नहीं जा रहा था। वहीं, हॉस्टल में रहने वाले अन्य छात्रों का कहना है कि विकास शांत स्वभाव का था।

पास के एक हॉस्टल में उसके दोस्त रहते थे जिनसे मिलने कभी-कभी जाता था। मंगलवार को कुछ परेशान था। रात 9.30 बजे खाना खाने आया लेकिन बिना खाए कमरे में चला गया। इसके बाद उसे किसी ने नहीं देखा।
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