पीठ ने यह भी कहा कि विशेषाधिकारों से हालत नहीं बदले हैं। चिकित्सा संस्थानों में सुपर स्पेशयलिटी कोर्सेस में आरक्षण मुद्द के दो मामलों पर शीर्षस्थ अदालत ने यह भी कहा कि ‘वास्तव में कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए।
देश के यह सामान्य हित में है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जाए और उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाकर देश के लोगों की मदद की जाए।
पीठ ने निर्णय देते हुए कहा कि उसे उम्मीद और विश्वास है कि केन्द्र सरकार और राज्यों की सरकारें इस पहलू पर बिना देरी किए गंभीरता से विचार करेंगी और समुचित दिशा-निर्देश देने की ओर बढ़ेंगी।
पीठ ने कहा कि वह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में प्रवेश प्रक्रिया में दखल नहीं दे सकती क्योंकि राष्ट्रपति के आदेश को संवैधानिक रूप से चैलेंज नहीं किया जा सकता।