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Movie Review: महिलाओं के साहस व वजूद को दर्शाती ‘Akira’

Published: Sep 02, 2016 02:53:00 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

स्टारकास्ट: सोनाक्षी सिन्हा, कोंकणा सेन शर्मा, अनुराग कश्यप, अमित साध, अतुल कुलकर्णी, रेटिंग : 3/5

akira

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निर्माता: एआर मुरुगादॉस
निर्देशक : एआर मुरुगादॉस
जोनर : थ्रिलर
संगीतकार : विशाल-शेखर

रोहित तिवारी/ मुंबई ब्यूरो। अधिकतर तमिल फिल्मों के निर्देशन की कमान संभालते आए निर्देशक-निर्माता एआर मुरुगादॉस की बी-टाउन इंडस्ट्री में यह तीसरी फिल्म है। उन्होंने अपनी जी-तोड़ मेहनत से साबित करने की पूरी कोशिश की है कि फिल्में चाहें जिस किसी भी भाषा की हों, बस निर्देशन की बेहतरीन समझ होनी चाहिए। उन्होंने अपने अंदाज में इस महिला प्रधान फिल्म में एक्शन और थ्रिलर का धमाकेदार तड़का भी लगाया है। आइए, जानते हैं फिल्म की कहानी के साथ कुछ पहलुओं के बारे में…


कहानी…
138. 52 मिनट की फिल्म की कहानी राजस्थान के एक नगर जोधपुर से शुरू होती है। वहां आए दिन कुछ मनचले लड़के रोजाना लड़कियों को छेड़ते हैं और न मानने पर उन पर एसिड फेंक दिया करते हैं।यह सब देखकर अतुल कुलकर्णी अपनी बेटी अकीरा (सोनाक्षी सिन्हा) को मजबूत बनाने के लिए उसे ताइक्वांडो की ट्रेनिंग दिलाते हैं। एक दिन वह अपने पिता के साथ जा रही होती है, तभी उसकी नजर उन लड़कों पर पड़ जाती है, जो लड़कियों पर एसिड फेंकतेे हैं। अकीरा उन्हें सबक सिखाते हुए एक लड़के पर एसिड डाल देती है। इस पर उसे बचपन में ही 3 साल की कैद जो जाती है। फिर जब वह वापस आती है, तो उसे कॅरियर बनाने के लिए मुंबई भेज दिया जाता है। वहां एक कॉलेज में अकीरा का एडमिशन हो जाता है और वह घर में भाई के यहां रहने की बजाय कॉलेज के हॉस्टल में ही रूम नंबर 17 में रुकने का फैसला करती है, जिस रूम में पहले ही किसी स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया था। एक रात अकीरा के होली क्रॉस कॉलेज के एक प्रोफेसर को मुंबई के एक करप्ट पुलिस अफसर अनुराग कश्यप नशे में 2 थप्पड़ जड़ देता है। इस पर दूसरे दिन एक स्टूडेंट और वो प्रोफेसर मुंबई सेंट्रल पुलिस स्टेशन में अनुराग के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जाता है, लेकिन उनकी नहीं सुनी जाती जाती। इस पर कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स मुंबई पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, तो पुलिस बल के सामने कोई नहीं टिक पाता, लेकिन अकीरा वहां से टस से मस तक नहीं होती और कमिश्नर को वो फाइल दे देती है।


वहीं दूसरी तरफ राणे की प्रेमिका एक मर्डर केस और उससे बरामद करोड़ों रुपए की बात वीडियो कैमरे में रिकॉर्ड कर लेती है। इस पर राणे और दो पुलिस वाले मिलकर उसकी हत्या कर देते हैं। इस केस को हैंडल करने के लिए राबिया सुल्तान (कोंकणा सेन शर्मा) आती है, जो प्रेग्नेंट होने के अलावा ईमानदार पुलिस ऑफिसर होती है। अब शर्मा के शक के दायरे में राणे और उसकी टीम आ जाती है। इधर उस वीडियो कैमरा की खोज में धोखे से पुलिस अकीरा को उठा लाती है। फिर उसके साथ दो और लोगों को पुलिस इनकाउंटर करने के लिए एक सुनसान जगह ले जाती है और वहां दो को पुलिस जबरन मार डालती है, लेकिन अकीरा वहां से भाग निकलती है और वह सब कुछ अपने प्रोफेसर को बता देती है। इसी के साथ कहानी में गजब का ट्विस्ट आता है और फिल्म आगे बढ़ती है। 


अभिनय…
इंडस्ट्री में दबंग गर्ल के नाम से अपनी अलग पहचान बना चुकीं सोनाक्षी सिन्हा ने अकीरा शर्मा का किरदार बखूबी निभाया है। उन्होंने अपने अभिनय में किसी तरह की कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी रहीं। कोंकणा सेन शर्मा एक पुलिसकर्मी की भूमिका में सटीक रहीं। अनुराग कश्यप अपने ही निराले अंदाज में नजर आए और उन्होंने एक करप्ट पुलिसवाले की भूमिका को बारीकी से दिखाने की कोशिश की है। टीना सिंह, अमित साध ने भी अपने-अपने किरदार को बहुत करीने से निभाया है। लोकिश विजय गुप्ते और मिषिका अरोड़ा सभी का साथ देते दिखाई दिए। इसके अलावा राई लक्ष्मी और अक्षय कुमार अपनी कुछ देर की भूमिका में ही दर्शकों पर अपनी छाप छोडने में कई मायनों में सफल नजर आए। 


निर्देशन… 
‘गजनी’, ‘हॉलीडे…’ के बाद बी-टाउन की इस फिल्म में लोगों को आकर्षित करने के लिए एआर मुरुगादॉस ने अपने निर्देशन में हर तरह का एक्सपेरिमेंट किया है। उन्होंने जहां एक महिला को एक्शन अवतार में दिखाया है, वहीं अपने गजब अंदाज से उन्होंने फिल्म में काफी मसाला भी परोसा है। उन्होंने फिल्म में थ्रिलर और इमोशन की अच्छी कमान संभाली और वे सफल भी रहे। अपने निर्देशन में कोई कोर-कसर बाकी न रखते हुए उन्होंने इसमें हर तरह के प्रयोग भी किए हैं। एक्शन फिल्म में एआर ने वाकई में कुछ अलग करने की कोशिश की है। सही मायनों में गुरुगादॉस दर्शकों की वाहवाही के असली हकदार हैं। विशाल-शेखर का संगीत बेहतरीन है। उन्होंने फिल्म की स्क्रिप्ट के हिसाब से संगीत तैयार किया है, जो भावनात्मक रूप से भी जोड़ता है।

कमजोर पहलू…
फिल्म की कमजोर कड़ी इसका सैकंड हाफ है, जो काफी फीका लगता है, जिसे छोटा किया जाता, तो फिल्म और भी दमदार बन जाती।

क्यों देखें? 
महिला प्रधान फिल्म और दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा को एक्शन अवतार में देखने के प्रेमी सिनेमाघरों की ओर रुख कर सकते हैं। फिल्म युवाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। सोनाक्षी का एक् शन अवतार प्रभावित करता है। उनका अंदाज लड़कियों को खासतौर पर पसंद आएगा।

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