कलाकार: डायना पेंटी, अभय देओल, मोमल शेख, जिम्मी शेरगिल, अली फजल, मिका सिंह, रेटिंग: 2/5
बैनर : कलर यलो
निमातज़ : आनंद एल. राय और कृषिका लुल्ला
निर्देशक : मुदस्सर अजीज
जोनर : रोमांटिक कॉमेडी
संगीतकार : सोहेल सेन
रोहित तिवारी/ मुंबई ब्यूरो। बी-टाउन के निर्देशक मुदस्सर अजीज अपने चाहने वालों के लिए रोमांटिक कॉमेडी फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ लेकर आए हैं। बेशक, मुदस्सर की बतौर निर्देशक यह दूसरी हिंदी फिल्म है, लेकिन उन्होंने दर्शकों को रिझाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने फिल्म में हर तरह का मसाला का मसाला डाला है। कहानी दिलचस्प है…कलाकारों का अभिनय मजेदार है। अब देखना यह है कि दर्शक इसे कितना पसंद करते हैं। एक नजर फिल्म की कहानी…अभिनय, निर्देशनए गीत-संगीत व कमजोर कड़ी पर…
कहानी…
126 मिनट की कहानी बिलाल अहमद (अभय देओल) के पिता की भारत में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस से शुरू होती है, बिलाल के पिता पाकिस्तान के एक्स गवर्नर होते हैं और उनकी वहां पर सब बहुत इज्जत करते हैं। लेकिन बिलाल उस कॉन्फ्रेंस से भाग जाता है और मैच खेलने में जुट जाता है। वहीं दूसरी तरफ दमन सिंह बग्गा (जिम्मी शेरगिल) पंजाब का रसूखदार होता है और वह हरप्रीत कौर हैप्पी (डायना पेंटी) से जबरन करना चाहता है, जबकि हैप्पी एक साधारण म्यूजीशियन गुड्डू (अली फजल) से प्यार करती है। अब हैप्पी बग्गा से शादी न करने की वजह से गुड्डू द्वारा एक प्लान के मुताबिक एक फूलों से भरे ट्रक में भाग जाती है। नतीजन, ट्रक से बगैर वीजा, पासपोर्ट के बिलाल के घर लाहौर पहुंच जाती है। वहां एक टोकरी जब खोली जाती है, तो हैप्पी को पता चलता है कि वह पाकिस्तान में है। यह देख बिलाल चौंक जाता है और फिर वह अपने पिता की इज्जत बचाने के चक्कर में उसे सबसे छिपाता घूमता है कि अचानक अपनी होने वाली पत्नी जोया (मोमल शेख) से टकरा जाता है। बिलाल और हैप्पी के साथ में देख जोया आग-बबूला होती है, फिर पता चलने पर वह भी उसके साथ हो जाती है। अब बिलाल और जोया दोनों हैप्पी और गुड्डू की शादी कराने के लिए एक प्लान बनाते हैं। इस पर बिलाल पंजाब से गुड्डू को लाहौर लाने में सफल हो जाता है, लेकिन यह बात बग्गा को पता चल जाती है और वह भी अपने दम पर पाकिस्तान लाहौर पहुंच जाता है। इसी मजेदार व दिलचस्प कहानी के साथ फिल्म आगे बढ़ती है।
अभिनय…
काफी समय बाद रुपहले पर्दे पर नजर आए अभय देओल ने अपनी भूमिका में कुछ अलग कर दिखाने की पूरी कोशिश तो की है, लेकिन कहीं-कहीं पर वे थोड़ा और बेहतर कर सकते थे। जिम्मी शेरगिल ने अपने जुदा अंदाज से रोल को जीवंत करने का भरसक प्रयास किया। वहीं अली फजल गुड्डू के किरदार में सटीक रहे। इसके अलावा डायना पेंटी ने हैप्पी के किरदार को बखूबी जिया है, उन्होंने अपने अभिनय में हर संभव प्रयास किया। मोमल शेख भी अपने रोल में फिट रहीं।
निर्देशन…
बॉलीवुड में निर्देशन के लिहाज से मुदस्सर अजीज की यह दूसरी ही पारी रही। इसमें उन्होंने रोमांटिक कॉमेडी में अच्छा काम किया है। कुछ अलग कर दिखाने के प्रयास में उन्होंने कुछ एक नए प्रयोग भी किए हैं। हालांकि वे फिल्म में कॉमेडी का तड़का लगाने के चक्कर में कहीं-कहीं पर थोड़ा मात खाते नजर आए। रोमांस में उन्होंने वाकई में कुछ अलग करने की कोशिश की है, इसीलिए वे कुछ हद तक दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे। फस्र्ट हाफ से लेकर सैकंड हाफ तक फिल्म बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ती है, जिसकी वजह से ऑडियंस का ध्यान इधर-उधर भटकने लगता है। बहरहाल, ‘एक टोकरी से क्या उगी तुम, मेरी जिंदगी ही तबाह हो गई है…Ó और ‘…हल बनाकर खेत न जोत दूं तो कहनाÓ जैसे कुछ एक डायलॉग्स की तारीफ की जा सकती है, सिनेमेटोग्राफी अंदाज को छोड़ दिया जाए, तो कॉमर्शिल और टेक्नोलॉजी इस फिल्म की में कुछ अलग किया जा सकता था। इसके अलावा फिल्म की मांग के अनुसार संगीत भी ऑडियंस को रिझाने के लिए कई मायनों से ठीक रहा।
कमजोर कड़ी…
फिल्म का फस्र्ट हॉफ बेहद स्लो है। फिल्म का जैसा नाम है कि हैप्पी भाग जाएगी, फिल्म वैसे नहीं भागती, जिहाजा हर तरह का मसाला होने के बावजूद मनोरंजन कमजार पड़ जाता है। निर्देशक मुदस्सर से ही चूक हो गई। कुछ सीन कट करके फिल्म को रफ्तार दे सकते थे।
क्यों देखें ?
रोमांटिक कॉमेडी के प्रेमी सिनेमाघरों की ओर रुख कर सकते हैं, लेकिन कुछ अलग और खास देखने की चाहत है, तो शायद आपके हाथ निराशा ही लगे। फिल्म का सब्जेक्ट बासी है…लेकिन निर्देशन व कलाकारों का अभिनय बेजोड़ है…फिल्म बोर नहीं करती, इसलिए मजे के लिए एक बार देखी जा सकती है।