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Navratri: 3 शुभ संयोग लेकर आ रही नवरात्रि, इस विधि से पूजा फलदायी

Published: Sep 26, 2016 12:20:00 pm

Submitted by:

neeraj mishra

दस दिन की नवरात्र का शुभारम्भ हस्त नक्षत्र और ब्रह्म योग के साथ होगा। इस मुहूर्त में पूजन-अर्चन शुभ फलदायक होगा। ज्योतिर्विदों के अनुसार 15 वर्षों बाद 10 दिन की नवरात्र आने वाली हैं।

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नवरात्र प्रतिपदा सूर्योदय से अगले दिन भोर 5.42 बजे तक है। एेसे मुहूर्त मेंं दिन के साथ ही रात में भी कलश स्थापना करना फलदायी होगा। दूसरे और तीसरे दिन द्वितीया को भगवती ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी। दूसरे दिन सूर्योदय पहले और तीसरे दिन सूर्योदय के बाद 7.34 बजे तक द्वितीया रहेगी। उदया तिथि के कारण दोनों दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी। जिस वर्ष दस दिन की नवरात्र होती है, उस वर्ष काफी अन्न उत्पादन होता है। किसान खुशहाल होते हैं। हस्त नक्षत्र और ब्रह्म योग संयोग को शुभ माना जा रहा है। 

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नवरात्र व्रत में दुर्गा सप्तशती पाठ व बीजमंत्र के जाप से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नौ देवियां अपने-अपने वाहन पर सवार होकर आएंगी। देवी के साथ ही वाहन के पूजन का भी विधान है। अलग-अलग देवियों को प्रसन्न करने के लिए पूजन सामग्री भी है जो आराधना को और फलदायी बनाएंगी। तांत्रिक साधना करने वाले दस महाविद्याओं की साधना करेंगे।

ये लगाएं भोग

मां शैलपुी का वाहन बैल है, इन्हें अनार का भोग लगाना चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी का वाहन मगरमच्छ है, गुड़ और गूगल हवन किया जाता है।
मां चंद्रघंटा का वाहन शेर है, इन्हें पांच प्रकार का भोग लगाया जाता है।
मां कुष्मांडा का वाहन शेर है, इन्हें मुनक्का का भोग लगाया जाता है।

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मां स्कन्दमाता का वाहन शेर है, इन्हें मिठाइयों का भोग लगना चाहिए।
मां कात्यायनी का वाहन शेर है, इन्हें केला फल का भोग लगाया जाता है।
मां कालरात्रि का वाहन घोड़ा है, इन्हें घृत मिश्रित हवन, खीर, ऋतुफल अर्पित करने चाहिए। 
मां महागौरी का वाहन बैल है, इन्हें शृंगार अर्पित किया जाता है।
मां सिद्धिदात्री का वाहन कमल है, इन्हें कन्या भोजन कराके प्रसन्न किया जाता है।

दस महाविद्याएं
काली, तारा, षोडसी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, घूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला के तांत्रिक साधना से अभीष्ट सिद्धि प्राप्त होती है।

ज्योतिर्विद का मत

दस दिन की नवरात्र को अत्यंत शुभ माना जाता है। हस्त नक्षत्र और ब्रह्मयोग में कलश स्थापना शुभ फलदायक होगी। नवरात्र व्रत में दुर्गा सप्तशती पाठ और देवी के बीज मंत्र जाप फलदायी होते हैं।
ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ल