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चरणामृत पीने से मिलेगी पुनर्जन्म से मुक्ति, जानिए क्या है इसका रहस्य

जब भी हम मंदिर जाते हैं तो पंडि़तजी भगवान का चरणामृत देते हैं, हम उसे सहज भाव से पी भी जाते हैं, लेकिन क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की कि चरणामृत पीने का रहस्य क्या है।

Sep 22, 2016 / 12:56 pm

Lalit Saxena

what is the secret of charnamrit

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उज्जैन. जब भी हम मंदिर जाते हैं तो पंडि़तजी भगवान का चरणामृत देते हैं, हम उसे सहज भाव से पी भी जाते हैं, लेकिन क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की कि चरणामृत पीने का रहस्य क्या है। शायद नहीं। क्योंकि हम सिर्फ इतना जानते हैं कि वह भगवान का प्रसाद है, बस। लेकिन इसके पीछे खास मकसद छुपा है।

शास्त्रों में है इसका उल्लेख
अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम।
विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।

अर्थात भगवान विष्णु के चरणों का अमृत रूपी जल समस्त पाप-व्याधियों का नाश करने वाला होता है तथा यह औषधि के समान है। जो चरणामृत पीता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता। जल तब तक जल रहता है, जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता, जैसे ही चरणों से लगा तो अमृत रूप होकर चरणामृत बन जाता है।



चरणामृत से बनी गंगा
वामन अवतार में विष्णु राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए, उन्होंने तीन पग में तीन लोक नाप लिए। पहले पग में नीचे और दूसरे में ऊपर के लोक नापे। जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने कमंडलु में से जल लेकर चरण धोए और चरणामृत को वापस कमंडल में रख लिया। वह चरणामृत गंगा जल बन गया, जो आज भी सारी दुनिया के पापों को धोता है, ये शक्ति उनके पास भगवान के चरणों की ही थी, जिस पर ब्रह्मा जी ने साधारण जल चढ़ाया था, वह चरणों का स्पर्श पाते ही गंगाजल बन गया। 

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बहुत पवित्र होता है चरणामृत:
– इसे बहुत पवित्र माना जाता है। मस्तक से लगाने के बाद इसका सेवन किया जाता है।
– चरणामृत का सेवन अमृत समान है।
– भगवान श्रीराम के चरण धोकर केवट न केवल स्वयं, बल्कि उसने पूर्वजों को भी तार दिया।
– चरणामृत का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, चिकित्सकीय भी है। ये हमेशा तांबे के पात्र में ही रखा जाता है।
– आयुर्वेद के अनुसार तांबे के पात्र में अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति होती है, जो उसमें आ जाती है। उसका सेवन करने से रोगों से लडऩे की क्षमता पैदा होती है।
– इसमें तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा भी है, जिससे इसकी रोगनाशक क्षमता और बढ़ जाती है।

औषधि भी है चरणामृत
भगवान का चरणामृत औषधि के समान भी है। यदि उसमें तुलसी पत्र मिला दिया जाए तो उसके औषधीय गुणों में और वृद्धि हो जाती है। कहते हैं सीधे हाथ में तुलसी चरणामृत ग्रहण करने से हर शुभ कार्य का जल्द परिणाम मिलता है।

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