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 इस वजह से महिलाएं नहीं फोड़तीं नारियल, ये है धार्मिक मान्यता

भारतीय संस्कृति धार्मिक मान्याताओं से भरी पड़ी है। आपको ऐसी कई मान्यताओं व नियम के बारे में जानकारी होगी कि यह सिर्फ पुरुष कर सकते हैं या फिर महिला।

Aug 22, 2016 / 07:40 pm

neeraj mishra

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जबलपुर। भारतीय संस्कृति धार्मिक मान्याताओं से भरी पड़ी है। आपको ऐसी कई मान्यताओं व नियम के बारे में जानकारी होगी कि यह सिर्फ पुरुष कर सकते हैं या फिर महिला। इसी तर्ज पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिरकार महिलाएं नारियल क्यों नहीं फोड़ती हैं।

अगर आपको गाड़ी, बंगला और बीवी चाहिए तो आप नारियल की पूजा करके आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। देश परंपराओं और कहानियों का देश है। यहां की हर परंपरा किसी ना किसी कहानी से जुड़ी हुई है। कोई भी पूजा बिना नारियल के पूरी नहीं होती है। यदि महिला पूजन कर रही है तो उसे नारियल तोडऩे के लिए पुरुष का ही सहारा लेना पड़ता है। नारियल न सिर्फ पूजन बल्कि जीवन के लिए भी रामबाण है।

यह है मान्यता
हिंदू धर्म में नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लेकर आए थे। इसलिए नारियल के वृक्ष को श्रीफल भी कहा जाता है। श्री का अर्थ है लक्ष्मी अर्थात नारियल लक्ष्मी व विष्णु का फल।

वेदों के जानकार पं. अंबिका प्रसाद शुक्ल के अनुसार नारियल में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है। श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। मान्यता अनुसार नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है। श्रीफल खाने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। इष्ट को नारियल चढ़ाने से धन संबंधी समस्याऐं दूर हो जाती है।

बलिदान का दिया गया है स्वरूप
पूजन में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान है। कोई भी वैदिक या दैविक पूजन प्रणाली नारियल के बलिदान के बिना अधूरी मानी जाती है। यह भी एक तथ्य है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। श्रीफल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन अर्थात प्रजनन का कारक माना जाता है। श्रीफल को प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियों बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती हैं और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोडऩा अशुभ माना गया है। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। 


शगुन में माना जाता है शुभ
नारियल के जल से शिवलिंग पर रुद्रभिषेक करने का शास्त्रीय विधान भी है। श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक माना जाता है। किसी को सम्मान देने के लिए श्रीफल भी भेंट किया जाता है। सामाजिक रीति-रिवाजों में भी शुभ शगुन के तौर पर नारियल भेंट करने की परंपरा युगों से चली आ रही है। तिलक, विवाह, विदाई, के समय श्रीफल भेंट किया जाता है। यहां तक की अंतिम संस्कार के समय भी चिता के साथ नारियल जलाए जाते हैं। वैदिक अनुष्ठानों में कर्मकांड में सूखे नारियल को वेदी में होम किया जाता है।

कैलोरी से सराबोर है श्रीफल
नारियल कैलौरी से भरपूर होता है। इसकी तासीर ठंडी होती है। इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं। सोते समय नारियल पानी पीने से नाड़ी संस्थान को बल मिलता है तथा नींद अच्छी आती है। इसके पानी में पोटेशियम और क्लोरीन होता है जो मां के दूध के समान होता है। जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के साथ नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए। डि-हाइड्रेशन होने पर नारियल पानी में नीबू मिलाकर पिया जाता है। मिश्री संग खाने से गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है तथा बच्चा सुन्दर होता है।

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एकाक्षी नारियल करता है मालामाल
जानकारों की मानें तो एकांक्षी नारियल बहुत ही दुर्लभ है। आमतौर पर नारियल की जटा की नीचे दो बिंदू होते हैं, लेकिन एकाक्षी नारियल में यहां सिर्फ एक ही बिंदू होता है। यह एक बिंदू वाला नारियल बहुत चमत्कारी होता है। जिस घर में यह नारियल होता है वहां महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पैसों की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इस नारियल के प्रभाव से घर से वास्तु दोष भी नष्ट होते हैं और परिवार के सदस्यों को कार्यों में सफलता मिलती है।

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