scriptये कथा सुनने से मिलेगा 88 सहस्त्र ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल | Yogini Ekadashi Vrat: Special worship of lord vishnu | Patrika News

ये कथा सुनने से मिलेगा 88 सहस्त्र ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल

Published: Jun 30, 2016 05:25:00 pm

Submitted by:

Abha Sen

एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। इस बार इसे 30 जून को मनाया जा रहा है। 

vishnu

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जबलपुर। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन योगिनी एकादशी व्रत का विधान है। इस शुभ दिन भगवान विष्णु की पूजा, उपासना की जाती है। इस एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। इस बार इसे 30 जून को मनाया जा रहा है। 

योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
इस एकादशी का महत्व तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। इसे करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मुक्ति प्राप्त होती है। योगिनी एकादशी व्रत में एक दिन पहले रात्रि से ही नियम शुरू हो जाते हैं। यह व्रत दशमी तिथि की रात्रि से शुरू होकर द्वादश तिथि के प्रात:काल में दानपुण्य के बाद समाप्त होता है। एकादशी तिथि के दिन प्रात: स्नान आदि कार्यों के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। स्नान करने के लिए मिट्टी का प्रयोग करना शुभ होता है। इसके अतिरिक्त तिल के लेप का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसके बाद कुंभ स्थापना की जाती है।




कुंभ के ऊपर विष्णुजी की प्रतिमा रख धूप और दीप से पूजन किया जाता है। व्रत की रात्रि में जागरण करना चाहिए। दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रती को तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए। व्रत के दिन नमकयुक्त भोजन भी वर्जित है। योगिनी व्रत की कथा श्रवण का फल 88 सहस्त्र ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान माना गया है। इस व्रत से समस्त पाप दूर होते हैं। इस दिन गरीब लोगों को दान देना कल्याणकारी माना गया है।
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