राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की लापरवाही से एक होनहार विद्यार्थी का मेरिट में आने का सपना टूट गया।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की लापरवाही से एक होनहार विद्यार्थी का मेरिट में आने का सपना टूट गया।
बोर्ड की लापरवाही से न केवल छात्र मेरिट में आने से वंचित रह गया, बल्कि उसे 53 अंकों का भी नुकसान उठाना पड़ा। बोर्ड की ओर से दोबारा जंचवाई उत्तर पुस्तिकाओं में यह बात सामने आई है, जिसमें अब उसे 53 नम्बर का इजाफा हुआ है।
मामला जिले की लाडनूं तहसील के ग्राम बिठूड़ा की मारवाड़ शिक्षा निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र देवेन्द्र सिंह पुत्र भंवरसिंह राठौड़ का है। देवेन्द्र ने कक्षा 10 की वार्षिक परीक्षा दी थी। इसके बाद बोर्ड की ओर से जारी किए गए परीक्षा परिणाम में छात्र को 88.17 प्रतिशत अंक मिले। इसमें उसे अंग्रेजी, संस्कृत, विज्ञान, हिन्दी व सामाजिक विज्ञान में क्रमश: 98, 98, 98, 97 व 91 अंक मिले जबकि गणित विषय में उसे मात्र 47 अंक दिए गए।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की लापरवाही
परिणाम के बाद छात्र देवेन्द्र ने इसे गलत बताते हुए परिजनों से गणित की पुन: जांच करवाने की बात कही। इसके बाद करवाई गई जांच में उसे 53 अंकों की बढ़त के साथ 100 में से 100 अंक प्रदान किए गए। जिससे उसके कुल प्राप्तांकों का प्रतिशत भी 88.17 से बढ़कर 97 प्रतिशत हो गया। बढ़े हुए अंकों के साथ हाल ही में बोर्ड ने नई अंक तालिका भी जारी की है।
हौसलों के साथ खिलवाड़
छात्र देवेन्द्र ने बताया कि उसे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था, लेकिन बोर्ड की लापरवाही से उसे 53 अंकों का नुकसान हुआ। हालांकि पुन: जांच में यह नम्बर बढ़ जाने से उसके प्राप्तांक 97 प्रतिशत हो गए हैं, लेकिन मेरिट में आने की उसकी तमन्ना अब भी अधूरी है।
मेरिट में शामिल करने की मांग
पुन: जांच के बाद बढ़े प्राप्तांकों के आधार पर अब छात्र, उसके परिजनों व स्कूल प्रशासन ने बोर्ड को पत्र लिखकर संशोधित मेरिट सूची जारी करने मेरिट सूची में छात्र का नाम जोडऩे की है। उनका कहना है कि 10 वीं बोर्ड मेरिट की सूची अब तक जारी नहीं की गई है। ऐसे में छात्र देवेन्द्र को इसमें शामिल किया जा सकता है।
लापरवाही उजागर
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं को जंचवाने के प्रति कितना संजीदा है, इसका पता छात्र देवेन्द्र की कॉपी की पुन: जांच से चलता है। इस लापरवाही से छात्र को सही समय पर उसकी योग्यता अनुसार प्राप्तांक नहीं मिल सके, जिससे उसे न केवल नुकसान उठाना पड़ा, बल्कि मानसिक परेशानी भी झेलनी पड़ी।