scriptतीन तलाक पर हाईकाेर्ट के फैसले से सहमत नहीं दारूल उलूम देवबंद | Darul Uloom Deoband disagrees with the decision of the High Court at Three divorce | Patrika News

तीन तलाक पर हाईकाेर्ट के फैसले से सहमत नहीं दारूल उलूम देवबंद

locationमुजफ्फरनगरPublished: Dec 09, 2016 09:44:00 am

Submitted by:

lokesh verma

दारूल उलूम के माैलानाओं ने एक सुर में कहा, टिप्पणी समझ से परे

Darul Uloom Deoband

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सहारनपुर. तीन तलाक के मामले में हाईकाेर्ट के फैसले से दारूल उलूम देवबंद इत्तेफाक नहीं रखता। तीन तलाक काे असंवैधानिक बताए जाने के हाईकाेर्ट के फैसले पर दारूल उलूम देवबंद के उलेमाआें ने तीखी प्रक्रिया दी है। दारूल उलूम के माेहतमिम माैलाना मुफ्ती अबुल कासमी नाेमानी ने कहा है कि तीन तलाक का मामला सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित हैं एेसे में निचली अदालताें काे इस संवेदनशील मुद्दे पर काेई टिप्पणी नहीं देनी चाहिए। जब तक यह मामला सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित हैं तब तक निचली अदालताें की इस मसले पर टिप्पणी समझ से परे आैर बेजा है। उनके अनुसार यह जरूरी नहीं है कि कानून का अच्छा ज्ञान रखने वाले कुरान आैर शरियत का भी ज्ञान रखते हाें। इसलिए इस तरह की टिप्पणी कुरान आैर शरियत की पूरी जानकारी कर लेने के बाद ही की जानी चाहिए। उन्हाेंने यह भी कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ भारतीय संविधान से ऊपर नहीं है, लेकिन संविधान की धारा 25 के तहत सभी धर्माें के लाेगाें काे उनके मजहबी अधिकार दिए गए हैं।

अदालत की टिप्पणी समझ से परे हैः कासमी

abul kasmi

तीन तलाक मामले काे लेकर आई हाईकाेर्ट की टिप्पणी पर वक्फ दारूल उलूम के माेहतमिम आैर मुस्लिम पर्सनल लॉ बाेर्ड के वरिष्ठ सदस्य माैलाना सूफियान कासमी ने सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि यह मामला देश की सर्वाेच्च अदालत में विचाराधीन है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बाेर्ड के साथ-साथ देश के अन्य बड़े मुस्लिम संगठनाें ने अपने-अपने हलफनामे भी दाखिल किए हुए हैं। जब इतने संवेदनशील मामले पर देश की सर्वाेच्च अदालत में विचार चल रहा हाे ताे एेसे में निचली अदालत की यह टिप्पणी समझ से परे है।

कुरान में तीन तलाक का जिक्र है

वहीं हाईकाेर्ट की टिप्पणी का हलावा देते हुए दारूल उलूम वक्फ के शेखुल हदीस माैलाना अहमद शाह खिजर ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकाेर्ट ने अपनी टिप्पणी ने कहा है कि कुरान में बताए गए तीन तलाक काे अच्छा नहीं माना जा सकता है। एेसे में खुद इलाहाबाद हाईकाेर्ट कुरान में तीन तलाक का जिक्र हाेने की पुष्टि खुद ही कर देता है। उन्हाेंने यह भी कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ मुल्क के संविधान की इज्जत करता है, लेकिन षडयंत्र के तहत इसकी गलत व्याख्या काे समाज के सामने पेश किया जा रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ में जितने हक आैर हकूक महिलाआें काे दिए गए हैं। उतने किसी अन्य मजहब में नहीं दिए गए हैं। इस्लाम में महिलाआें के साथ क्रूर व्यवहार नहीं किया जाता। खुद उलेमा इस बात काे बताते हैं कि तीन तलाक गलत है, लेकिन यदि फिर भी काेई तीन तलाक देता है ताे उसे नाजायज नहीं ठहराया जा सकता, क्याेंकि यह धार्मिक अधिकार है।
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