नगर परिषद में यह कैसा खेल वेतन ढाई लाख, जुर्माना भरा सवा लाख
नागौरPublished: Sep 29, 2015 03:40:00 am
सूचना का अधिकार का उपयोग कर जनता भले कितना ही जोर लगा ले, सरकारी कारिंदे सूचना
नहीं देंगे। भले ही उनके वेतन की आधी राशि जुर्माने के रूप में
नागौर। सूचना का अधिकार का उपयोग कर जनता भले कितना ही जोर लगा ले, सरकारी कारिंदे सूचना नहीं देंगे। भले ही उनके वेतन की आधी राशि जुर्माने के रूप में चली जाए। ऎसा विचित्र खेल नागौर नगर परिषद में पिछले लम्बे समय से खेला जा रहा है। नगर परिषद में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत दर्जनों आवेदन लगाए गए। समय पर जवाब नहीं दिया तो राज्य सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारी पर जुर्माना लगाया। नियमानुसार संबंधित शाखा के कार्मिकों से यह जुर्माना वसूला जा रहा है। इसके बावजूद कर्मचारियों ने सूचना नहीं दी।
करवाएंगे जांच
आयोग द्वारा शास्ति लगाने के बावजूद सूचना देने की जानकारी नहीं है। किसी स्तर पर ऎसा हुआ है तो प्रकरणों की जांच करवाकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। एएच गौरी, कार्यवाहक आयुक्त, नगर परिषद नागौर
नहीं हुई कोई कार्रवाई
नगर परिषद के पांच कर्मचारियों में से एक लिपिक पर 5, दूसरे पर 3 व एक एईएन समेत दो अन्य कर्मचारियों पर समय पर सूचना नहीं देने पर शास्ति अधिरोपित की गई। इनमें से एक नियमन शाखा लिपिक हरिकिशन का सालाना वेतन करीब दो लाख 40 हजार रूपए है, जबकि उस पर 1 लाख 15 हजार रूपए जुर्माना लगा है। स्टोर कीपर हरिराम सांखला (मासिक वेतन 52000) से 25 हजार, संविदाकर्मी सत्यनारायण जिसका वेतन 8 हजार रूपए मासिक था, उससे 60 हजार, एईएन नरेन्द्रसिंह (मासिक वेतन 72000) से 25 हजार व लिपिक भंवरलाल (मासिक वेतन 27000)से 25 हजार रूपए जुर्माना वसूला गया। हालांकि सूचना नहीं देेने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
विभागीय कार्रवाई का प्रावधान
आरटीआई एक्ट की धारा 20 (2) के अंतर्गत आयोग के निर्णय की अवहेलना करने, सूचना देने में बार-बार विफल रहने, सूचना नष्ट करने, अस्पष्ट जानकारी देने पर सूचना आयुक्त संबंधित कर्मचारी के विभागीय अधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है। आईदान फिड़ौदा, आरटीआई कार्यकर्ता, नागौर
चार साल बाद भी नहीं मिली सूचना
मैंने वर्ष सितम्बर 2011 में शहर में नगर पालिका द्वारा स्ट्रीट लाइटों की खरीद के बिल व लगाने के स्थान को लेकर जानकारी मांगी थी, लेकिन सूचना नहीं मिली। अपील के बाद कर्मचारी पर जुर्माना लगाया गया। चार साल बाद भी सूचना का जवाब नहीं दिया।
सरिता चौधरी, पूर्व पार्षद
धर्मेन्द्र गौड़