करेली। नजदीकी ग्राम आमगांव बड़ा विद्युत उपकेंद्र से जुड़े गांवों में कृषि पंप कनेक् शन उपभोक्ताओं पर बकाया भारी भरकम बिजली बिलों की वसूली के लिए सोमवार को विभाग द्वारा की गई कुर्की की कार्रवाई से समूचे क्षेत्र में किसानों के बीच हडकंप की स्थिति बनी रही। इस बीच विभाग ने सुबह से शुरू की सिलसिलेवार कार्रवाई के दौरान क्षेत्र के निवारी,ग्वारी और पिपरिया बरोदिया आदि गांवों में पहुंचकर बकायादारों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए नोजल,पाइप,स्र्टाटर और मोटरसाइकिल आदि साम्रगी की कुर्की की कार्रवाई की।
इस संबंध में जानकारी देते हुए आमगांव बड़ा विद्युत उपकेंद्र प्रभारी लोकेंद्र वर्मा ने बताया कि आज की कार्रवाई के दौरान विभिन्न ग्रामों फ्लैट रेट के पंप कनेक् शन धारी उपभोक्ताओं मेंंं ३० बड़े बकायादारों पर नौलाख का बिजली बिल अभी भी बकाया है, जिसकी वसूली की कार्रवाई के तहत समीपी ग्राम निवारी ग्वारी के उपभोक्ता विष्णुप्रसाद पर ४० हजार की बकाया होने पर १६ नग पाइप,१२ नग नोजल कुर्क करने की कार्रवाई की गई है, इसी तरह बारहा छोटा के उपभोक्ता धनीराम पर २७४६४ का बिजली बिल बकाया होने पर उसकी मोटर साइकिल सहित कुछ अन्य स्थानों पर स्टार्टर और बिजली के तार कुर्क करने की कार्रवाई की गई है।
लोकेंद्र वर्मा ने बताया कि वसूली टीम के पहुंचने पर बारहा छोटा के उपभोक्ता रामफकीरे ने ३५ हजार बकाया बिल मेंं से १५ हजार तुरंत नगद जमा कर दिया इसलिए शेष राशि के लिए उन्हे आठ दिन का समय दिया गया है। इसी प्र्रकार एक अन्य उपभोक्ता ने भी ३१५०० में से १५ हजार मौके पर जमा किये हैं।
५५ लाख है उपभोक्ताओं पर बकाया
आमगांव बड़ा उपकेंद्र क्षेत्र में कुल तीन हजार चार सौ कृषि पंप कनेक् शन धारी उपभोक्ता के ऊपर अक्टूबर १६ की छमाही की करीब एक करोड़ पांच लाख का डिमांड बताई गर्ई। जिसमें विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक मात्र ६० लाख की रिकवरी ही हो पाई है जिसके बाद ५५ लाख का बिजली बिल उपभोक्ताओं पर अभी भी बकाया है। जिसके लिए विभाग की वसूली टीम गांवों की खाक छानती फिर रही है।
नोट बंदी से मिले थे बिजली विभाग को एक करोड़ से ज्यादा
बताया जाता है कि सरकार द्वारा कि पिछले दो माह पहले की नोटबंदी का सवसे ज्यादा लाभ क्षेत्र में बिजली विभाग को ही मिला है, एक जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के दरम्यान अकेले आमगांव उपकेंद्र में नवंबर के महीने में ९४ लाख और दिसंबर में ६५ लाख का बिजली बिलों की राशि बैठे बिठाये ही मिल गई थी। यह राशि क्षेत्र में गन्ना के्रशरों,घरेलू उपभोक्ताओं,अस्थायी पंप कनेक् शनों आदि के उपभोक्ताओं द्वारा जमा कराई गई। जिन्हे सामान्य रूप से नवंबर माह से बिजली की जरूरत ज्यादा पड़ती है।