scriptsavan somvar: दुर्लभ है 9 पत्रों वाला यह वेल पत्र,नर्मदा के बीच एक टापू पर है इसका वृक्ष | savan somvar: rare vel patra tree on island between Narmada | Patrika News

savan somvar: दुर्लभ है 9 पत्रों वाला यह वेल पत्र,नर्मदा के बीच एक टापू पर है इसका वृक्ष

locationनरसिंहपुरPublished: Jul 18, 2017 03:51:00 pm

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ajay khare

बरमान में नदी के बीच स्वर्ण पर्वत पर बने दीपेश्वर मंदिर के प्रांगण में स्थित है,सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने यहां तपस्या कर भूतभावन भोले नाथ को प्रसन्न कर शाप से मुक्ति पाई थी।

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अजय खरे। नरसिंहपुर। श्रावण मास में सोमवार को शिव पूजन का विशेष महत्व है। पूजन में भगवान शिव को वेल पत्र अर्पित करने का और भी विशेष महत्व है। आम तौर पर शिवार्चन में हर कहीं तीन पत्रों वाले वेल पत्र चढ़ाए जाते हैं पर हम आपको बता रहे हंै एक ऐसे दुर्लभ वेल पत्र के बारे में जिसके हर पत्र में तीन नहीं बल्कि तीन गुना ज्यादा यानी 9 पत्र हैं। यह दुर्लभ वेल पत्रों वाला वृक्ष बरमान में मां नर्मदा के आंचल में नदी के बीच टापू पर बने दीपेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में लगा है। जिसे किसी ने लगाया नहीं बल्कि अपने आप ही उगा है। बताया गया है कि यह विल्ब का यह वृक्ष दुर्लभ है और कहीं देखने को नहीं मिलता है। इस वेल पत्र का महत्व यह भी है कि जहां तीन पत्रों वाले 108 वेल पत्र चढ़ाने हों वहां 9 पत्रों वाले इन 36 वेल पत्रों को भगवान शिव को अर्पित करने से पूर्ति हो जाती है। 

खास है शिव मंदिर
दीपेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आदि काल में स्वयं सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने यहां तपस्या कर भूतभावन भोले नाथ को प्रसन्न कर शाप से मुक्ति पाई थी। ऐसी मान्यता है कि यहां सावन में जप-तप करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। टापू को स्वर्ण पर्वत के नाम से जाना जाता है। भगवान सूर्य तथा अन्य देवों व ऋषियों ने भी इस स्थान पर दीपेश्वर महादेव की पूजा की है। दीपेश्वर महादेव को गुरुओं के गुरु के रूप में पूजा जाता है। पंचकोषी परिक्रमा में इस स्थान को ओंकारेश्वर का स्वरूप माना गया है।

देखते ही बनती है मंदिर की सुंदरता
टापू के शिखर पर बना मंदिर वास्तु शिल्प की दृष्टि से अनूठा है। इसकी कलात्मकता यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मोह लेती है। यहां से चारों ओर नर्मदा के प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन होते हैं। गर्भगृह में शिवङ्क्षलग स्थापित है और चारों ओर गणेश व अन्य देवताओं की प्रतिमाएं हैं। बाहर नंदी महाराज विराजमान हैं और ब्रह्मा की भी मूर्ति है। 
 
मंदिर में लगा 9 पत्रों वाला वेल पत्र दुर्लभ है। यह अपने आप यहां उगा है इसे किसी ने लगाया नहीं। दीपेश्वर मंदिर में स्वयं ब्रह्मा ने तपस्या की थी। उन्होंने अपने आराध्य दीपेश्वर महादेव को प्रसन्न किया था। 
पं.अशोक तिवारी, पुजारी दीपेश्वर मंदिर बरमान 

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