नोएडा. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण की ओर से एक ऐसा फैसला ले लिया गया है, जिससे जिले के करीब साढ़े 12 लाख नए वोटर्स अखिलेश की झोली में आ सकते हैंं। तीनों प्राधिकरण एक ऐसी पॉलिसी लेकर आए हैं, जिसमें प्राधिकरण और बिल्डर्स को तो फायदा पहुंचेगा ही साथ ही जो पिछने 6 सालों से अपने आशियाने की बाट जोह रहे 18 लाख लोगों को भी फायदा मिलेगा। आपको बता दें कि पिछले कई महीनों से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे पर अपना घर बुक कराने के बाद इंतजार में बैठे लोग प्राधिकरण और बिल्डर्स की शिकायत सूूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कर रहे थे। अखिलेश यादव इस बात को काफी समय से समझ रहे थे, अगर इस तबके को नाराज किया गया तो एक बड़ा वोट बैंक हाथ से निकल जाएगा।
लेकर आए पीएसपी
प्राधिकरण प्रोजेक्ट सेटेलमेंट पॉलिसी (पीएसपी) लेकर आई है। इससे जहां प्राधिकरण बिल्डरों से अपना पैसा ले सकेगी। वहीं, निवेशकों के हितों की रक्षा भी होगी। जिस भूखंड पर प्रोजेक्ट की शुरुआत नहीं हुई है। उसका पूरा पैसा निवेशकों को वापस किया जा सकेगा। वहीं, बिल्डर को भी राहत देते हुए ऐसे डिफॉल्ट डेेवलपर्स जो किसी कारणवश अपना कार्य शुरू नहीं कर पाए है। उनको रि-शिडयूलमेंट कर एसक्रो एकाउंट (एक प्रोजेक्ट के लिए खोला गया खाता) खुलवाकर परियोजना को शुरू करवाया जाएगा। यह फैसला तीनों प्राधिकरण ने संयुक्त रूप से लिया।
निवेशकों के लिए हो रही थी मुश्किल
गत कई सालों से रियल स्टेट में आर्थिक मंदी के चलते बिल्डर्स मांग में काफी कमी आ गई है। इसका सीधा असर निवेशकों व प्राधिकरण पर पड़ रहा है। निवेशकों को पजेशन नहीं मिल रहा। वहीं प्राधिकरण को धनराशि नहीं मिल रही है। लिहाजा तीनों प्राधिकरण ने संयुक्त रूप से पीएसपी पॉलिसी बनाई है। पॉलिसी के सभी बिंदुओं को नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना विकास प्राधिकरण ने संयुक्त से अनुमोदित किया है। गौरतलब है कि तीनों प्राधिरकरण क्षेत्र में करीब 4 लाख से ज्यादा फ्लैटों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन आधे से कम फ्लैटोंं पर निवेशकों को पजेशन मिला है। वहीं, कई बिल्डर्स अपनी परियोजनाओं को शुरू तक नहीं कर सके हैं। वहीं, कुछ का आशिंक रूप से काम शुरू हो पाया है। ऐसे में प्राधिकरण का बकाया होने से उन्हें कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया है। लिहाजा बायर्स की फ्लैटों की सब लीज नहीं हो पा रही है। ऐसे में तीनों प्राधिकरण ने बायर्स बिल्डर व प्राधिकरण की सहुलियत के लिए पीएसपी पॉलिसी बनाई है।
आखिर क्या है पीएसपी
बोर्ड बैठक में निर्णय लिया गया कि तीनों प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में जहां भी बिल्डरों की परियोजना डिफॉल्ट के कारण आगे का कार्य नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें रि-शिडयूलमेंट का ऑप्शन देते हुए एसक्रो एकाउंट खुलवाकर परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा। इस खाते में सिर्फ वहीं पैसा जमा होगा जो उस परियोजना से संबंधित है। वहीं, जिन प्रोजेक्ट को शुरू नहीं किया जा सका है उनका पैसा भी इसी खाते में जमा कराकर निवेशकों को उनका पूरा पैसा वापस किया जाएगा। खास बात यह है कि इस एकाउंट में आने वाला पैसे सिर्फ उसी प्रोजेक्ट के लिए खर्च किया जाएगा, जिसका निवेशकों ने बुकिंग कराई है। बिल्डरों को लाभ देते हुए प्राधिकरण ने कहा कि जिन परियोजनाओं में सिर्फ आंशिक कार्य हुआ है। उसमें जितनी भूमि पर तीसरी पार्टी के दावेदारी नहीं है, उसे एक्जिट कराया जाएगा। साथ ही सहायक बिल्डर या डेवलपर्स की मदद लेकर उसे पूर्ण कराया जाएगा, ताकि निवेशकों को फ्लैटों पर कब्जा दिलाया जा सके।