संविधान पर चर्चा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में मंगलवार को जवाब दिया। पीएम मोदी ने उच्च सदन में जवाब देते हुए कहा कि स्कूलों में संविधान के बारे में छात्रों को जानकारी दी जानी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि देश तू-तू, मैं-मैं से देश नहीं चलता। बाबा साहब को नमन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र अंबेडकर के योगदान को कभी नहीं भुला सकता।
मोदी ने कहा- ’26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने के फैसले पर हम यह दावा नहीं कर सकते हैं कि यह मूल विचार हमारा था। हो सकता है मेरी जानकारी के सिवाय हो। 2008 में महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने 26 नवंबर संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया था।’
तू-तू, मैं-मैं से देश नहीं चलता
संविधान पर चर्चा में जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि संविधान एक ऐसी शक्ति है, जो हमें तू और मैं की भावना से बाहर निकालती है। तू-तू, मैं-मैं से देश नहीं चलता। हमारे लिए संविधान एक जश्न, एक उत्सव होना चाहिए। संविधान की भावना के प्रति हमारे आदर पीढ़ियों तक चलना चाहिए।
पीएम मोदी ने अंबेडकर को किया नमन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोेदी ने संविधान का निर्माण करने वाले बाबा साहब अंबेडकर और अन्य लोगों का नमन किया। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में कई कांग्रेस के लोग भी थे, यह हमारे संस्कार हैं कि हम उनका सम्मान करते हैं। हमें संविधान सभा के सदस्य रहे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनको कितने दबावों का सामना करना पड़ा होगा, फिर भी वे बेमिसाल संविधान लेकर आए।
संविधान से होगा भारत का मार्गदर्शन
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत जैसे डेमोक्रेटिक देश में मार्गदर्शन के लिए संविधान ही एक रास्ता है। आने वाली पीढ़ियों को संविधान से परिचित करवाना होगा। पीएम ने कहा कि 26 नवंबर का कार्यक्रम संविधान निर्माताओं को नमन करने के लिए है। संविधान निर्माण का यह कार्य महान था। जो लोग पहले नहीं शुरू कर पाए, उन्होंने कोई गुनाह नहीं किया।
समाज में समभाव और ममभाव होना जरूरी
हमारा संविधान कानूनी रूप से ही समर्थ नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक दस्तावेज भी है। समाज में जैसा समभाव जरूरी है, वैसे ही ममभाव ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज में किसी के साथ अत्याचार होता है, तो वह समाज और देश पर कलंक है। पीएम मोदी बोले- ‘सरदार साहब ने देश एक किया… सरदार साहब ने देश एक किया… इस पर अटक जाएंगे, तो बात बनेगी नहीं। एकता का मंत्र भारत जैसे देश में केंद्रस्थ होना चाहिए। बिखरने के लिए तो बहुत बहाने मिल सकते हैं, जुड़ने के अवसर खोजना हमारा दायित्व है।’
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