scriptफार्मासिस्ट की अनिवार्यता से यूपी में आधे से ज्यादा मेडिकल स्टोर हो सकते हैं बंद | Inevitability of pharmacists, more than half medical stores may be closed | Patrika News

फार्मासिस्ट की अनिवार्यता से यूपी में आधे से ज्यादा मेडिकल स्टोर हो सकते हैं बंद

locationनोएडाPublished: Jul 22, 2016 11:52:00 am

Submitted by:

lokesh verma

केमिस्ट शॉप पर जांच के दौरान फार्मासिस्ट के नहीं मिलने पर ड्रग इंस्पेक्टर निरस्त कर रहे हैं लाइसेंस

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नोएडा। दवा दुकानों पर वैध डिग्री या डिप्लोमा वाले फार्मासिस्ट की अनिवार्यता से प्रदेश की करीब आधी दुकानों के बंद होने के आसार पैदा हो गए हैं। शासन स्तर से जांच पर सख्ती के चलते बगैर फार्मासिस्ट के दुकान चलाने वालों ने डर की वजह से दुकानें बंद कर दी हैं। वहीं केमिस्ट शॉप पर जांच के दौरान फार्मासिस्ट के नहीं मिलने पर ड्रग इंस्पेक्टर लाइसेंस निरस्त कर रहे हैं।

यहां 15 मेडिकल स्टोर के लाइसेंस किए जा चुके हैं निरस्त

शासन के आदेश पर गौतमबुद्ध नगर में अप्रैल से जुलाई के बीच 15 दवा की दुकानों के लाइसेंस निरस्त किए जा चुके हैं। जबकि दो दुकानों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं। मंगलवार को गंगा शॉपिंग कांप्लेक्स में एक नामी दवा कंपनी की दुकान को बंद कराया गया है। औषधि विभाग के अधिकारी सख्ती की वजह नियमों का अनुपालन बता रहे हैं। वहीं केमिस्ट एसोसिएशन ने विभाग पर तानाशाह रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। एसोसिएशन के सदस्यों का तर्क है कि पिछले 40 सालों से चली आ रही व्यवस्था में एकाएक बदलाव होना संभव नहीं है।

ब्यौरा आॅनलाइन होने से कडे़ हुए नियम


उधर अधिकारियों की मानें तो नियम नये नहीं हैं। पहले से ही दवा की दुकानों पर फार्मासिस्ट की अनिवार्यता का नियम था। पिछले 40 सालों से यह नियम लागू रहा है, लेकिन उससे पहले एक ही डिप्लोमा या डिग्री धारी फार्मासिस्ट के प्रमाण पत्र कई दुकानों पर इस्तेमाल हो जाते थे। यानी जिस भी किसी ने फार्मेसी में डिप्लोमा या डिग्री कर रखी है। वह दवा की दुकान चलाने वाले के यहां अपने प्रमाण पत्र लाइसेंस दस्तावेजों में लगा देता था। वहीं व्यक्ति उसी डिग्री को कई अन्य दवा की दुकानों पर भी दे देता था। जिसके आधार पर दवा विक्रेता के लाइसेंस का नवीकरण होता रहता था, लेकिन अब सारी व्यवस्था आॅनलाइन हो गर्इ है। अब फाॅर्मसिस्ट अपने लाइसेंस पर अपनी ही दुकान चला सकेगा। उसके द्वारा किसी आेर को अपना लाइसेंस देने पर कंप्यूटर उसे पकड़ लेगा। ऐसे में एक ही व्यक्ति के प्रमाण पत्र कई दुकानों पर लगे होने का पता चल जाएगा। एेसे में केवल एक दुकान को छोड़कर अन्य दुकानों के उस डिग्री पर जारी लाइसेंस को विभाग निरस्त देगा।

उत्तर प्रदेश में हैं 75 हजार मेडिकल स्टोर

विभाग के डेटा के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल मेडिकल स्टोर की संख्या करीब 75 हजार है। इनमें से अकेले गौतम बुद्ध नगर में चलने वाले मेडिकल स्टोर की संख्या तकरीबन 1000 से भी ज्यादा है। दवा दुकानें में काफी बड़ी संख्या में बगैर फॉर्मासिस्ट के चल रही हैं। एेसे में आॅनलाइन हुए इस नियम से ज्यादातर दुकानें बंद हो सकती हैं।

सेक्टर-30 स्थित ड्रग इंस्पेक्टर आॅफिस से मिली जानकारी के अनुसार दवा की दुकान पर फॉर्मासिस्ट की मौजूदगी अनिवार्य है। लाइसेंस लेने और रिन्युवल के दौरान फार्मासिस्ट के प्रमाण पत्र समेत दस्तावेजों की जांच की जाती है। जिन दुकानों के पास फार्मासिस्ट नहीं हैं। वे 6 महीने तक विलंब शुल्क देकर रिन्युवल (नवीकरण) करा सकते हैं। नियमत: 6 महीने की अवधि के बाद स्वत: ही लाइसेंस निरस्त हो जाता है। फार्मेसी में डिप्लोमा या डिग्री करने वाले दवाई की दुकान पर बतौर फार्मासिस्ट काम कर सकते हैं। लखनऊ स्थित यूपी फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण कराने के बाद डिप्लोमा या डिग्री धारी फार्मासिस्ट केमिस्ट शॉप के लाइसेंस संबंधी दस्तावेजों में अपने प्रमाण पत्र लगा सकते हैं।

केमिस्ट असोसिएशन ने की छूट की मांग

वहीं गौतमबुद्ध नगर केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप खन्ना ने फार्मासिस्टों की संख्या कम होने के चलते 10 साल या उससे पुराने समय से दुकान चलाने वालों को कुछ समय की छूट देने की मांग की है। साथ ही फार्मासिस्टों की उपलब्धता कराने में विभाग से सहयोग मांगा है। ऐसा नहीं होने पर प्रदेश में दवा की काफी बड़ी संख्या में दुकानों के बंद होने की आशंका जताई है।

गौतमबुद्ध नगर के ड्रग इंस्पेक्टर दीपक शर्मा ने बताया कि मुख्यालय से जिलेवार हर महीने 15 ऐसे मेडिकल स्टोर की सूची भेजी जा रही है। जहां एक फाॅर्मासिस्ट के प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर कई दुकानों को लाइसेंस जारी हुए हैं। उनके अलावा गोपनीय सूचना के आधार पर दुकानों के लाइसेंसों की जांच की जा रही है।
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