नोएडा: तीन तलाक के पक्ष-विपक्ष में चल रही बहस के चलते मुल्क के सियासी और गैरसियासी तबके में खासी हलचल है। इसी बीच मुजफ्फरनगर में मोबाइल पर तीन तलाक देने के विरोध में मुस्लिम समाज के कुछ लोग मुखर हो गए हैं। हाल ही में सऊदी अरब से मोबाइल द्वारा युवती को तीन बार तलाक देने के मामले में मुस्लिम समाज की ग्राम न्यामू में पंचायत हुई। इसमें तीन तलाक के विरोध में आवाज उठी। वहीं इस मामले में एक सब इंस्पेक्टर की पोस्ट भी काफी वायरल हो रही है। उन्होंने भी इस प्रथा को गलत बताया है।
मोबाइल पर तीन तलाक देने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने का भी सुझाव दिया गया। इस बाबत धर्मगुरुओं से भी ऐसा रास्ता निकालने की अपील की गई, जिससे महिला को तलाक की पीड़ा से बचाया जा सके। क्षेत्र के ग्राम न्यामू की एक युवती की शादी डेढ़ वर्ष पहले जनपद सहारनपुर के ग्राम गंझेड़ी के एक युवक से हुई थी। उनका एक बच्चा भी है। महिला का पति करीब सवा महीने पहले सऊदी अरब गया था। इसी बीच बीमार होने पर ससुराल वालों ने उसकी पत्नी को मायके भेज दिया।
एक पखवाड़ा पूर्व सऊदी अरब से पति ने फोन कर पत्नी को तीन बार तलाक कह दिया था। इसके बाद महिला का तलाक मान लिया गया। इसके बाद मोबाइल पर तीन बार तलाक दिए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया। विरोधस्वरूप परिजनों ने आवाज उठानी शुरू कर दी। रविवार को ग्राम न्यामू में ग्राम प्रधान लियाकत के निवास पर मुस्लिम समाज के लोगों ने पंचायत कर तीन तलाक के मसले पर चर्चा की।
पंचायत में ताहिर ने सवाल उठाया कि विदेश में रहकर मोबाइल पर ही तीन तलाक देना कहां का इंसाफ है। उन्होंने कहा, इस नियम में बदलाव किया जाना चाहिए ताकि किसी भी विवाहिता को अकारण यह दंश न झेलना पड़े। उन्होंने कहा कि इस बात की तस्दीक कैसे हो कि तलाक संबंधित महिला के पति ने ही दिया है। हामिद ने तीन तलाक के मसले पर फिर से विचार करने पर जोर दिया। कहा कि ऐसे लोगों का भी सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए जो मोबाइल पर ही तलाक दे देते हैं। जब तक समाज इस मामले पर जागरूक नहीं होगा, ऐसी परेशानियां आती रहेंगी। मेहताब त्यागी ने कहा कि तीन तलाक वाला मामला धर्मगुरुओं की राय से सुलझना चाहिए।
सब इंस्पेक्टर रोहित तेवतिया ने अपनी पोस्ट में एक किस्से का हवाला देते हुए तीन तलाक प्रथा पर सवाल उठाते हुए इसे खत्म करने की बात कही थी।