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नाकाम स्मारक

Published: Mar 01, 2015 06:03:00 pm

कोई अपने को कितना भी दूध का धुला कहे लेकिन नाकामी और धांधलियों के छींटे उनके
दामन

आपको हुई हो या नहीं पर हमें अपने प्रधानमंत्री मोदीजी की एक बात बिल्कुल हजम नहीं हुई। लोकसभा में अपने जोरदार तेवरों के साथ उन्होंने फरमाया कि वे “मनरेगा” को बंद नहीं करेंगे क्योंकि यह कांग्रेस की नाकामी का स्मारक है और बार-बार मनरेगा की विफलता का ढोल पीटते रहेंगे।

खूब ढोल पीटो साहब। वैसे भी आप ढोल बखूबी बजा सकते हैं, यह तो आपने अपनी जापान यात्रा में बाकायदा सिद्ध कर ही दिया था लेकिन एक बात जरा हमारे जैसे मंदबुद्धि को भी समझा दीजिए कि अगर मनरेगा विफल है तो फिर आपके खजाना मंत्री जेटली काहे इस योजना के लिए बजट में बत्तीस हजार करोड़ रूपए खर्च करने प्रावधान कर रहे हैं।

क्या सचमुच कांग्रेस की “कब्ा्र” खोदने के लिए इस देश की जनता के जेब से ऎंठा गई इतनी बड़ी रकम लुटाना ज्यादा जरूरी है। मनरेगा विफल है तो इसे बंद काहे नहीं कर देतेे। अजी जनता ने तो आपके झांसे में आकर कांग्रेस को तो पिछले साल ही चारों खाने चित कर दिया था। अब आपकी बातों से यही लग रहा है कि आप मनरेगा को इसलिए विफल करार दे रहे हैं क्योंकि यह कांग्रेस के जमाने में शुरू हुई है और इसे बंद करते ही ग्रामीण जनता आपको कोस सकती है।

इस बात का दूसरा अर्थ ये भी लगाया जा सकता है कि आपको अपने बदनाम होने की चिन्ता है चाहे उसकी कीमत बत्तीस हजार करोड़ रूपए ही क्यों न हो। जहां तक हमें याद आता है नेता ऎसी भाष्ाा लगातार बोलते रहे हैं। वे किसी अच्छे काम का श्रेय दूसरी पार्टी के नेताओं को देना ही नहीं चाहते।

ऎसा नहीं कि यह “सत्कर्म” कांग्रेस ने नहीं किया हो। वे भी अपने प्रतिद्वंद्वियों की अच्छी योजनाओं को नाकारा बताती रही है लेकिन तब और अब में बड़ा अंतर आ गया है। तब तो पता ही नहीं चलता था और सरकार में बैठे लोग कूलडियों में गुड़ फोड़ लेते थे। अब तो “गूगल बाबा” पर जाकर एक क्लिक मारिए सारा लेखा-जोखा पल भर में आंखों के सामने आ जाता है।

माना कि मोदी अच्छे वक्ता हैं लेकिन लोकसभा में जैसे व्यंग्य बाण आपने छोड़े और जिस हिकारत से विपक्ष को गरियाया वैसा तो आपके यशस्वी प्रधानमंत्री अटल जी तक ने कभी नहीं किया था। उस कठिन वक्त में भी नहीं जब मात्र एक वोट से उनकी सत्ता चली गई थी। सच तो ये है कि मनरेगा ही नहीं आम जनता के लिए लोकतंत्र के नाकाम स्मारक तो हरेक सत्ताधारी दल में हैं। कोई अपने को कितना भी दूध का धुला कहे लेकिन सत्ता की गलियों में उड़े नाकामी और धांधलियों के छींटे उनके और उनकी पार्टियों के दामन पर साफ नजर आते हैं।

कांग्रेस तो भ्रष्टाचार की गंगोत्री मानी जाती रही है पर भाजपा में कितने और कैसे-कैसे भ्रष्टाचारी हुए हैं इसका हिसाब आम आदमी खूब जानता है। अगर सचमुच मनरेगा एक नष्ट स्मारक है तो कृपया इसे बंद करके हमारे जैसे मुफलिसों को टैक्स में थोड़ी छूट ही दिला देते। घरवाली को एक आध सस्ती साड़ी दिलाकर वाहवाही लूट लेते। आपने तो इनकम टैक्स में एक रूपए की भी छूट नहीं दी। राही
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